भाजपा की संसदीय समिति ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विपक्ष का नेता चुनने के लिए राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और थावरचंद गहलोत को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया। राजनाथ सिंह के साथ विनय सहस्त्रबुद्दे को मध्य प्रदेश का, अरुण जेटली के साथ अविनाश राय खन्ना को राजस्थान का और थावर चाँद गहलोत के साथ अनिल जैन को छत्तीसगढ़ का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है।
पार्टी को तीनो राज्यों में पिछले महीने चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। जेपी नड्डा ने बताया कि राज्य में विधायक दल की मीटिंग की तारीख बाद में तय की जायेगी।
सूत्रों के अनुसार पर्यवेक्षक विधायक दल की मीटिंग के अलावा राज्य के मुख्य मुद्दों के बारे में चर्चा करेंगे और तय करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान और रमण सिंह को 15 सालों तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता सँभालने के बाद हार का सामना कर पड़ा जबकि वसुंधरा को 5 सालों के कार्यकाल के बाद हार का सामना करना पडा।
हालाँकि शिवराज अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी से, रमण राजानंदगाँव से और वसुंधरा झालरापाटन से अपने अपने चुनाव जीत गई। चर्चा थी कि इन तीनों नेताओं को केंद्र में बुलाकर राज्य का नेत्रित्व नए चेहरों को सौंपा जाएगा क्योंकि ये तीनों ही क्षत्रप केंद्र से ही राज्य की राजनीती में आये थे।
लेकिन अब सूत्रों के हवाले से कहबर है कि लोकसभा चुनाव तक पार्टी किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह अभी भी भाजपा के सबसे बड़े वोट जुटाऊ चेहरे हैं और राज्य में कांग्रेस बसपा और सपा के सहारे सत्ता में है। जिस तरह से शिवराज ने 15 साल बाद भी कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी उस हिसाब से पार्टी इन्ही तीनों के सहारे लोकसभा चुनाव में उतरने का मन बना रही है।