मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों को विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ बड़ी लड़ाई बताते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा है कि वह राज्य की सत्ता में अपनी पार्टी को वापस लाने के लिए “भूखे” (बेचैन) हैं।
कांग्रेस 2003 में भाजपा से हार कर राज्य की सत्ता से बाहर हो गई थी। इस बार पार्टी भाजपा से राज्य की सत्ता छीनने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और 28 नवम्बर को 230 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए आक्रामक चुनाव अभियान चलाया है।
2013 में भाजपा ने 44.88 फीसदी वोटों के साथ 230 में से 165 सीटें हासिल की थी जबकि कांग्रेस ने 42.67 फीसदी वोटों के साथ 58 सीटें हासिल की थी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘सिर्फ वो ही नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ता भी कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए भूखे हैं।’
कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के सवाल पर कमलनाथ ने कोई सीधा जवाब न देते हुए कहा कि ‘राहुल गाँधी जी तय करेंगे भविष्य में क्या होगा।’
कमलनाथ बुधनी विधानसभा सीट पर पार्टी प्रत्याशी अरुण यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। बुधनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा के प्रत्याशी हैं और पिछले 13 सालों से प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं।
राज्य में आरएसएस को बैन करने के मुद्दे पर कमलनाथ ने भाजपा पर लोगों को झूठ बोल कर भ्रमित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा ‘भाजपा लोगों को झूठ बोल कर दिग्भ्रमित कर रही है। मैंने कभी नहीं कहा कि राज्य में आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ‘हमारे मेनिफेस्टो में साफ़ लिखा है कि सरकारी कार्यालयों में संघ की शाखा पर प्रतिबन्ध लगेगा।’
9 बार के सांसद 72 वर्षीय कमलनाथ ने कहा कि ‘जनता का भरोसा नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान से उठ चूका है। अब जनता बदलाव चाहती है।’