न्यूज एजेंसी रायटर सर्वे के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर में होने वाली पॉलिसी मीटिंग के बाद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है, अार्थिक विशेषज्ञ यह उम्मीद जता रहे हैं कि अगले साल के अंत तक यही स्थिति बनी रहेगी। जबकि मुद्रास्फीति अगले कुछ महीनों में अपने 4 फीसदी के लक्ष्य को भी पार कर जाएगी।
कुल मिलाकर रायटर द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार अगले साल के अंत तक ब्याज दरों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा, जबकि अगले कुछ महीनों में महंगाई और ज्यादा बढ़ सकती है। पिछले हफ्ते अर्थशास्त्रियों के साथ किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि अगले साल की दूसरी तिमाही तक ब्याज दरों में यह कटौती संभव है। अब पॉलिसी मेकर्स के पास इस बात की बहुत कम संभावना बची है कि वे अगले कुछ महीनों में ब्याज दरों में वृद्धि करें।
रायटर ने अपने सर्वेक्षण में यह दर्शाया है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनोमी लगातार पांच तिमाहियों की मंदी के बाद अपने अार्थिक विकास दर में सुधार करेगी। मुंबई यस बैंक के चीफ इकॉनोमिस्ट शुभदा राव का कहना है कि, आरबीआई का मानना है कि मुद्रास्फीति में वृद्धि हो रही है, यह दर लंबे समय तक टिकी रह सकती है, ऐसे में आरबीआई द्वारा ब्याज दर में कटौती करने का विचार थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
अर्थव्यवस्था की सटीक भविष्यवाणी करने वाले राव का कहना है कि दिसंबर में ब्याज दर की कटौती असंभव है। शायद अगले साल मुद्रास्फीति दर को देखने के बाद ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा। सर्वे के अनुसार, 52-54 अर्थशास्त्रियों ने यह उम्मीद जताई है कि रिजर्व बैंक 6 दिसंबर को होने वाली बैठक में रेपो दर 6 फीसदी रख सकता है।
अक्टूबर में हुई बैठक के दौरान आरबीआई की मोनेटरी पालिसी कमेटी ने बढ़ती मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जताई थी। इसलिए संभव है, आरबीआई ब्याज दरें ना बढ़ाए। पिछले सात महीने में मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत के साथ अपने उच्च दर पर है।
20-26 अर्थशास्त्रियों ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि मुद्रास्फीति की दर मार्च तक 4 फीसदी के आसपास पहुंच सकती है। हांलाकि मुद्रास्फीति दर को लेकर अर्थशास्त्री चितिंत नहीं दिखे क्योंकि पहले भी देश में मुद्रास्फीति दर इससे ज्यादा रिकॉर्ड की जा चुकी है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि भारत सरकार दर कटौती के लिए पैरवी कर रही है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, उम्मीद है आरबीआई दिसंबर में नहीं तो अगली पॉलिसी समीक्षा के दौरान नीति दरों में कटौती कर सकती है। रायटर्स के नए सर्वेक्षण के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर में होने वाली पॉलिसी बैठक में रेपो रेट 6 फीसदी रखने की उम्मीद जताई है।
जेपी मॉर्गन चीफ साजिद चिनॉय ने अपने एक नोट में लिखा है कि हालिया महीनों में तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि उपभोक्ताओं के लिए उच्च मुद्रास्फीति का कारण बनेगी। अगली तिमाही तक मुद्रास्फीति में 4.5 फीसदी तक की उछाल देखी जा सकती है।