Mon. Dec 23rd, 2024
    मंगल ग्रह mars planet

    जब भी पृथ्वी से बाहर जीवन होने पर चर्चा होती है, तो मंगल ग्रह (मार्स) का जिक्र जरूर होता है। पृथ्वी से मंगल ग्रह की दुरी और लगभग समान विशेषताओं की वजह से मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना विज्ञान परिक्षण के लिए महत्वपूर्ण विषय है। आपको बता दें कि सौर मंडल में पृथ्वी से सबसे कम दूर मंगल ग्रह ही है। पिछले करीबन 50 सालों से मानव मंगल ग्रह पर जीवन तलाशने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लाल ग्रह पर जीवन का कोई सबूत अभी तक नहीं मिला है।

    हालाँकि मंगल ग्रह की सतह से मिले अवशेषों के तहत वैज्ञानिकों का दावा है कि प्राचीन काल में मार्स की सतह पर पानी था। पानी की सम्भावना होनें पर सूक्ष्मजीवियों के होनें के आसार भी हैं। लेकिन, वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ अवशेष मिलने भर से यह साबित नहीं होता है कि मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना है।

    जीवन की खोज (life on mars)

    मंगल पर जीवन के लिए वैज्ञानिक खोज 19वीं शताब्दी में शुरू हुई थी। तब से आज तक वैज्ञानिक कई जरियों से मंगल पर रहने योग्य सबूतों को इकट्टा करने की कोशिश कर रहे हैं।

    विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी स्थान पर जीवन होनें के लिए वहां पानी का मौजूद होना जरूरी है। मंगल पर हालाँकि पूर्ण रूप से पानी होनें की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन नासा द्वारा किये गए परीक्षणों में ग्रह की सतह पर कुछ ऐसे पदार्थ मिले हैं, जिनका पानी से बने होनें के आसार हैं।

    मंगल ग्रह पर पानी
    वैज्ञानिकों के मुताबिक चित्र में ढलान पर बनी आकृतियां पानी के बहने की वजह से बनी हैं।

    मंगल की सतह पूरी तरह से सुखी और बंजर है। इसके अलावा ग्रह का वायुमंडल इतना पतला है कि सूरज की किरणें सतह पर सीधे गिरती हैं। इन सब कारणों से मंगल की सतह पर द्रव रूप में पानी के होनें के आसार बहुत कम हैं। हालाँकि वैज्ञानिकों का मानना है कि सतह के भीतर बर्फ के रूप में पानी के होनें की सम्भावना है।

    पानी के अभाव के अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं, जो मंगल पर जीवन को कठिन बनाती है। उदाहरण के तौर पर मंगल का वायुमंडल काफी पतला है, जिसके कारणवश सूरज से निकलने वाली ज्यादातर हानिकारक पराबैंगनी किरणें सीधे ग्रह की सतह पर पहुँचती है। इसके अलावा जिस प्रकार धरती एक बड़े चुंबक की तरह व्यवहार करती है, मंगल इससे बिलकुल अलग है। ऐसे में दोनों ग्रहों को समान मानकों से जाँचना सही नहीं होगा।

    नवम्बर 2017 में नासा नें बताया कि उन्हें मंगल की सतह पर पानी होनें के ठोस सबूत मिले हैं। नासा से जुड़े एक मुख्य प्रबंधक जॉन ग्रुन्स्फेल्ड का कहना है, “मंगल ग्रह पर जाने का हमारा मुख्य लक्ष्य ‘पानी की खोज’ था। और अब हमारे पास वहां पानी होनें के ठोस सबूत हैं।”

    मंगल ग्रह पर पानी यदि सच में मिलता है, तो यह पूरी मानवता के लिए एक बड़ी खबर होगी।

    वर्तमान और भविष्य की योजनाएं (present and future missions on mars)

    पिछले 40 सालों में पृथ्वी से मंगल ग्रह पर कई तरह के मिशन भेजे गए हैं, जिनमे हमें ढेरों जानकारियां मिली हैं। हालाँकि इन सभी मिशनों में किसी भी मानव को वहां नहीं भेजा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तक इंसान को सुरक्षित वापस लाने के कोई सुविधा नहीं है।

    ( ऊपर दी गयी वीडियो में जो रोवर दिखाया गया है वह 2004 में नासा द्वारा धरती से लांच किया गया था। यह रोवर जनवरी 2004 को मंगल की सतह पर उतरा था। इसके बाद अगले 6 सालों में नासा नें मंगल की सतह की बहुत सी जानकारी जुटायी। यह रोवर 2009 में मंगल पर धंस गया था और उसके बाद इससे संपर्क नहीं हो सका है। )

    अब हालाँकि नासा का कहना है कि बहुत जल्द वह मंगल पर इंसान को भेजेगा। नासा नें एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2025 तक वह इंसान को एक बाहरी एस्टेरॉइड पर उतारेगा। इसके बाद 2030 के दशक में मानव को मंगल भेजा जा सकेगा।

    हाल ही में एलोन मस्क नामक व्यक्ति की कंपनी स्पेस एक्स नें मंगल ग्रह पर भेजने के लिए एक बड़ा रॉकेट बनाया है। इस रॉकेट की मदद से बड़ी मात्रा में सामान और संभवतः इंसानों को मंगल तक पहुँचाया जा सकता है।

    मंगल पर जाकर इंसान जरूरी साक्ष्य अपने साथ वापस ला सकता है। इसके अलावा हम यह भी जान सकते हैं कि वहां मानव जीवन कितना सुरक्षित है।

    मंगल पर पहला मानव मिशन काफी खतरनाक साबित भी हो सकता है। कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि मार्स पर पहला मानव मिशन सिर्फ एकतरफा होगा। यानी वहां से वापस लौटना काफी मुश्किल होगा। इसके बावजूद भी कई संस्थायें और देश मंगल पर मानव को भेजने की तैयारियां कर रहे हैं।