प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा महिलायें, बच्चे और युवा सरकार द्वारा लाये जाने वाले हर पॉलिसी के केंद्र में रहेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत 2025 तक अपने जीडीपी का 2.5 फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने लगेगा।
2018 पार्टनर्स फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में चिकित्सा देखभाल पर खर्च होने वाली भारी भरकम राशि ने उनकी सरकार को चिंतित किया और इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की।
उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना प्रति वर्ष 5 लाख रुपये नकद रहित स्वास्थ्य बीमा कवर प्रति परिवार को प्रदान करता है। इस योजना के अन्दर 500 मिलियन गरीब नागरिक शामिल हैं। ये आबादी कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका की आबादी के बराबर है। इस योजना के शुरू होने के 10 सप्ताह में ही हम पहले से ही 5 लाख लोगों को 700 करोड़ रुपये तक मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा कि आयुषमान भारत की दूसरी शाखा में विभिन्न समुदायों को पास में ही एक स्वास्थ्य सुविधा और व्यापक प्राथमिक देखभाल प्रउपलब्ध कराने का प्रावधान है, जिसके लिए केंद्र 2022 तक 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र शुरू करेगा।
लोगों को स्तन, गर्भाशय और मौखिक – हाइपर-तनाव, मधुमेह और तीन प्रकार के कैंसर सहित सामान्य बीमारियों के लिए मुफ्त स्क्रीनिंग और देखभाल उपलब्ध कराया जाएगा और ये सब सुविधाएँ मरीजों को उनके घर के पास ही उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने 2025 तक जीडीपी का 2.5 फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में देश जीडीपी का 1.15 फीसदी फीसदी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के टीकाकरण कार्यक्रम “मिशन इंद्रधनुष” को दो दिवसीय कार्यक्रम में दुनिया भर के 12 अन्य लोगों के बीच सफलता की कहानी के रूप में दिखाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि “मिशन इंद्रधनुष” के तहत सरकार पिछले तीन वर्षों में 32.8 मिलियन बच्चों और 8.4 मिलियन गर्भवती महिलाओं तक पहुंच गई है जबकि टीकों की संख्या 7 से 12 हो गई है।
उन्होंने कहा कि भारत की कहानी “उम्मीद” है। उम्मीद है कि कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है। उम्मीद है कि व्यवहार में बदलाव सुनिश्चित किया जा सकता है। उम्मीद है कि तेजी से प्रगति हासिल की जा सकती है।
मोदी ने कहा कि जब उनकी सरकार ने 2014 में पद संभाला था तब भारत 44,000 से अधिक माताओं को खो रहा था। केंद्र ने तब “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान” लॉन्च किया, जिसके तहत डॉक्टरों ने इस अभियान में प्रति माह एक दिन सेवा की प्रतिज्ञा की थी और 16 मिलियन पूर्व-प्रसव देखभाल और जाँच किए गए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के बीच कुपोषण के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार ने “पोषण अभियान” लॉन्च किया है और “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकर्म” भी लागू कर रहा है, जिसने पिछले चार वर्षों में 800 मिलियन स्वास्थ्य जांच और 20 मिलियन बच्चों को मुफ्त रेफरल उपचार प्रदान किया है।
महिला स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार के काम के बारे में मोदी ने कहा कि आधे भारतीय महिलाओं को 2015 तक खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन नहीं पहुंची थी। “उज्ज्वला योजना” के जरिये 58 मिलियन महिलाओं तक खाना पकाने के लिए स्वस्थ ईंधन पहुँचाया गया।
उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में 12 सप्ताह पहले से मातृत्व अवकाश को 26 सप्ताह तक बढ़ाने के बारे में भी बात की।