भारत और रूस ने 5 अक्टूबर को हुए सालाना सम्मलेन में परमाणु ऊर्जा की साझेदारी के विस्तार के लिए एक कार्य योजना तैयार की थी। इस कार्य योजना के तहत रुसी परमाणु संयंत्र की रणनीति भारत पर दूसरी योजना को लागू करने की थी।
अधिकारियों के अनुसार इस परमाणु ऊर्जा में भागीदार कार्य योजना को लागू करने की एहमियत के कारण ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पिछले हफ्ते मास्को गयी थी। रूस ही एकमात्र देश है जो भारत में परमाणु संयंत्र लगा रहा है।
रूस की भागीदारी से बना कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र भारत के बड़े पावर स्टेशन में से एक है।
इसमें वीवीईआर-1000 रिएक्टर लगे हैं जिनकी प्रति क्षमता 1000 मेगावाट है। पहली इकाई को अक्टूबर 2013 में बिजली उत्पादन के लिए साउथ पावर ग्रिड से जोड़ा गया था।
दूसरी इकाई की क्षमता 1000 मेगावाट थी जिसे अगस्त 2016 में कनेक्ट गया था। तीसरी और चौथी इकाई का कार्य अभी चालू है।
तीसरी इकाई का प्लांट कुडुकुलन परमाणु ऊर्जा संयंत्र 29 जून, 2017 को तैयार हो गया था। अधिकारियों के मुताबिक तीसरे और चौथे इकाई की बिल्डिंग तैयार हो चुकी है।
टरबाइन बिल्डिंग के लिए उपकरण का पहला बेड़ा मार्च तक पूरा हो जायेगा। केएनएनपी इकाई तीन के लिए रिएक्टर प्रेशर वेसल को इस वर्ष के अंत तक भेज दिया जायेगा। इकाई 4 का कार्य आगामी वर्ष तक तैयार हो जायेगा।
पिछले साल पीटर्सबर्ग में हुए सम्मलेन में दोनों देशों ने इकाई 5 और 6 के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये है। अभी इकाई 5 हुए और 6 का कार्य निर्माणाधीन है।
रूस भारत के साथ साझा होकर बांग्लादेश के रूर्पपुर में पहला परमाणु ऊर्जा संयत्र का निर्माण करने की दिशा में काम कर रहा है।
इसी वर्ष मार्च में भारत, रूस और बांग्लादेश ने समझौते पर हस्ताक्षर किये है। इस समझौते के तहत भारत की कंपनी इस निर्माण कार्य में भाग लेगी साथ ही उपकरणों की भी आपूर्ति करेगी।