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    भारत म्यांमार भूकंप यंत्र

    भूकंप और अन्य नैसर्गिक आपदाए जैसे बाढ़, चक्रवात से निपटने के लिए भारत ने अपने पड़ोसी म्यांमार को भूकंप पूर्वसूचना संयंत्र (अर्थक्वेक वार्निंग सिस्टम) भेंट दिया हैं। भूकंप पूर्वसूचना संयंत्र के कार्यान्वित होने से नैसर्गिक आपदाओं से म्यांमार को होने वाले नुकसान कमी आएगी और पूर्व सुचना दिए जाने की वजह से लाखो लोगों को आपदाओं से राहत मिलेगी।

    भूकंप पूर्वसूचना संयंत्र भारत की आर्थिक मदत से तयार किया जा चूका हैं, म्यांमार में भारतीय राजदूत विकास मिसरी ने इस संयंत्र का उद्घाटन किया। अर्थक्वेक वार्निंग सिस्टम और फ्लड अर्ली वार्निंग सिस्टम, म्यांमार की सरकार को नैसर्गिक आपदाओं से जुडी जानकारी देने में उपयुक्त होगा। इन सिस्टम्स को म्यांमार सरकार के परिवहन एवं दूरसंचार मंत्रालय में रखा गया हैं।

    2008 में नर्गिस नामक तूफान से म्यांमार में 1 लाख 40 हजार लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। तूफान नर्गिस को म्यांमार में सबसे विध्वंसक आपदा माना जाता हैं, 2008 में पूर्व सुचना देने वाली कोई भी व्यवस्था न होने के कारन सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा करने में असमर्थ रही ।

    नर्गिस तूफान म्यांमार के तटोंसे टकराने के 10 साल बाद इस तरह का संयंत्र भारत की ओर से दिया गया हैं। भारतीय राजदूत ने म्यांमार और अन्य पड़ोसियों के विकास में भारत की कटिबद्धता अधोरेखित की।

    भारतीय दूतावास द्वारा जारी बयान के अनुसार, “फ्लड वार्निंग सिस्टम के अंतर्गत 12 स्वयंचलित जलस्तर मापक स्टेशन (आटोमेटिक वाटर लेवल स्टेशन) और 3 वेदर स्टेशनों का निर्माण किया गया हैं, और भूकंप पूर्वसूचना संयंत्र (अर्थक्वेक वार्निंग सिस्टम) के अंतर्गत 10 परिक्षण केन्द्रों का निर्माण किया गया हैं।

    दोनों सिस्टम्स का परिक्षण किया जा चूका हैं, राजदूत मिसरी ने दोनों संयंत्र के कार्यन्वित होने में म्यांमार के विशेषज्ञों के योगदान की तारीफ की। उम्मीद हैं की आने वाले समय में अगर दुर्भाग्यवश म्यांमार को आपदाओं का सामना करना पड़ता हैं, भारत द्वारा दिए गए संयंत्र उन आपदाओं की पूर्व सूचना देंगे, जिससे जीवित या वित्त हानी ना हो।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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