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    भारत मलेशिया

    चीन का आक्रामक रवैय्या, दक्षिण चीन सागर में और इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में चीन का बढता हस्तक्षेप भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा हैं, इससे क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ रहा है। अपने प्रभाव क्षेत्र में चीन का हस्तक्षेप रोकने ने के लिए भारत, दक्षिण पूर्व एशिया के देशों पर अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं।

    प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू की गयी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के अंतर्गत इस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंध सुधारने की कवायातो को गति प्रदान की जा चुकी हैं। आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को गणतंत्र दिवस के मुख्य आथितियों के रूप में आमंत्रित करना इस दिशा में पहला कदम था।

    आसियान देशों के साथ संबंध सूधारने हेतु अब भारत और मलेशिया की सेनाए साझा युद्ध अभ्यास करेंगी। हरीमाउ शक्ति-2018 (Harimau Shakti) यह इस सैन्य अभ्यास का नाम होगा। भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार यह अभ्यास दो चरणोंमें होगा। इस अभ्यास का हेतु जंगले जैसी नम परिस्थितियों में जवाबी कार्रवाई को अंजाम देना यह हैं, इस अभ्यास में दोनों सेनाए एक दूसरों से नयी चीजे-तकनीके सीखेंगी।

    इस साझा युद्ध अभ्यास में भारत का प्रतिनिधित्व 4 ग्रेनेडियर्स बटालियन के जवान करेंगे और मलेशियन आर्मी के ओर से 1 रॉयल रंजेर रेजिमेंट और रॉयल मलय रेजिमेंट अभ्यास में हिस्सा लेंगे। दोनों सेनाओं के बीच यह युद्ध अभ्यास मलेशिया के हुलु लांगट प्रान्त के सेंगई पेर्दिक के घने जंगलों में किया जा रहा हैं। हरीमाउ शक्ति युद्ध अभ्यास के दुसरे चरण की शुरुवात सोमवार 7 मई से हुई।

    दोनों देशों की थल सेनाओं के बीच यह पहली बार साझा अभ्यास कीया जा रहा हैं, इससे पूर्व 2008 और 2010 में दोनों देशों की वायुसेनाओं के बीच युद्ध अभ्यास हो चूका हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार हरीमाउ-2018 के बाद भी इस प्रकार के सैन्य अभ्यासों का आयोजन किया जाएगा। इस सैन्य अभ्यास से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी अधिक सुदृढ़ होने की आशंका मंत्रालय के द्वारा जातीय जाई हैं।

    अत्यंत चुनौतीपूर्ण और नम वातावरण में किये जा रहे इस अभ्यास में भारतीय सैनिकों ने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस(आय।ई।डी) को निष्क्रिय किया। 13 मई तक चलनेवाले इस सैन्य अभ्यास का हेतु दोनों देशों के खिलाफ हो रही गतिविधियों पर जवाबी कार्रवाई करने के लिए तयार रहना और ऐसी परिस्थितियों में दोनों देशों की सेनाओं के साथ समन्वय से काम करना यह हैं।

    भारत और मलेशिया के बीच सैन्य साझेदारी बीते कुछ दशकों में अधिक मजबूत हुई हैं। भारतीय वायु सेना ने मलेशिया पायलटों को रशियन मूल के सुखोई जेट का प्रशिक्षण दिया था। पायलटों प्रशिक्षण के लिए गोंग कैड़क एयरबेस में तयार किए गए “सिस्टम स्कूल” के निर्माण और तकनिकी सहायता प्रदान करने में भारतीय वायु सेना ने अहम किरदार अदा किया था।

    उम्मीद हैं आने वाले समय में दक्षिण पूर्वी एशियाई देश भारत की ओर एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में देखेंगे और भारत का इस क्षेत्र के देशों के साथ संबंध अधिक दृढ़ होंगे, जिसका दोनों देशों के नागरिकों को फायदा होगा।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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