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    भारत में रूसी कंपनियों की रूचि

    वीटीबी समूह को रूसी प्रेसिडेंट व्लादीमिर पुतीन का खास माना जाता है, यही नहीं इस समूह का नाम रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक के रूप में शुमार किया जाता है। आप को बता दें कि निवेश बैंकिंग कारोबार के क्षेत्र में दबदबा रखने वाले वीटीबी समूह ने हाल ही में कई भारतीय कंपनियों के साथ समझौता किया है।

    दरअसल वीटीबी समूह का प्लान एनसीएलटी की नीलामी प्रक्रिया के दौरान एस्सार स्टील के लिए बोली लगाना है। भारतीय निजी क्षेत्र के व्यापार में वीटीबी ग्रुप का यह पहला गठजोड़ नहीं है बल्कि रसियन ग्रुप वीटीबी रूइया और जीएमआर समूह को भी वित्तीय मदद उपलब्ध करा चुका है।

    गौरतलब है कि वीटीबी ग्रुप भारत में निवेश करने वाली रूस की एक मात्र इकाई नहीं बल्कि अन्य रसियन कंपनियां भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ती दिखाई दे रही हैं। इन कंपनियों में निजी इक्विटी फंड कंपनी लियोनिद बोगुस्लावस्की और यूरी मिलनर तथा हैवी अभियांत्रिकी क्षेत्र की रूसी कंपनी उरालमाश और सिस्तेमा जेएसएफसी एंव तेल—गैस क्षेत्र की कंपनी रोसनेफ्ट आदि शामिल हैं।

    13 अरब के एस्सार आॅयल के अधिग्रहण में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट ने अपने साझीदारों ट्राफिगुरा तथा यूसीबी के साथ मिलकर सबसे बड़ा निवेश किया है। एस्सार आॅयल के सौदे में शामिल लोगों का कहना है कि रूसी सरकार की ओर से आगे बढ़ने का संकेत मिलने के बाद ही इस तरीके से कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत में प्रवेश किया है।

    आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन मामले में अमेरिकी और यूरोपियन बंदिशों को देखते हुए रूस ने तेल के क्षेत्र में निवेश करने के​ लिए भारत को चुना। एक आंकड़े के मुताबिक साल 2015 के दौरान यूरोप की कुल तेल जरूरतों को पूरा करने में करीब 20 प्रतिशत की भागीदारी रोसनेफ्ट की रही।

    भारत में रूसी कंपनियों का निवेश

    आपको बता दें कि रूस का सबसे बड़ा बैंक स्बरबैंक पिछले चार सालों से भारत में निवेश कर रहा है। स्बरबैंक ने टाटा पॉवर की पूर्वी यूरोप स्थित एक परियोजना को करीब 40 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। हांलाकि अब इस रसियन बैंक ने अपनी कारोबारी रणनीति में बदलाव लाते हुए रूसी कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रमों को कर्ज देने का निर्णय लिया है।

    स्बरबैंक ने साइबेरियन कोल एनर्जी कंपनी के साथ मिलकर कोयला खनन के क्षेत्र में एक बड़ी साझेदारी की है। स्बरबैंक सोना आयात करने के दृष्टिकोण से भारत को एक बड़ा बाजार मानता है, ऐसे में यह बैंक सोना आयातकों को भी कर्ज मुहैया कराता रहता है।
    निजी इक्विटी फंड के क्षेत्र में भी रूसी कंपनियां भारत को अपना केंद्र बनाती जा रही हैं।

    बतौर उदाहरण सिस्तेमा ने एशिया में इक्विटी फंड निवेश का विस्तार 5 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 12 करोड़ डॉलर कर दिया है, इसके लिए यह कंपनी भारत के बड़े कारोबारियों से संपर्क साध रही है।  रूसी बिजनेस लियोनिद बोगुस्लावस्की ने अपनी कंपनी आयू-नेट के जरिए फ्रीचार्ज और स्नैपडील में एक ​बड़ा निवेश किया है।

    रक्षा ​के क्षेत्र में रूसी कंपनियों की भागीदारी: आॅयल, इक्विटी फंड, आॅनलाइन डिलीवरी बिजनेस में निवेश करने के साथ ही रक्षा के क्षेत्र में रूसी कंपनियों ने भारत में अपनी रूचि दिखानी शुरू कर दी है। स्पेशल रिपोर्ट के अनुसार साल 2012-2016 के बीच भारत रूस से करीब 68 फीसदी हथियार आयात कर चुका है।