मीडिया में अफवाहे उड़ रही थी कि मालदीव में भारत ने सैन्य बेस के निर्माण का आग्रह किया है। सूत्र के मुताबिक भारत ने ऐसी कोई मांग नहीं की है और मालदीव को आर्थिक मदद बिना किसी नापाक मंसूबे के दी है। इससे पूर्व मालदीव के विदेश मंत्री ने कहा था कि सरकार भारतीय सैनिकों की उनकी सरजमीं में तैनाती को अनुमति नहीं देगी।
मालदीव के विदेश मंत्री का ट्वीट
नवम्बर में एक ट्वीट कर अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि हम मीडिया की ख़बरों का खंडन करते है कि वित्तीय सहायता और अन्य फायदेमंद उपकरणों के लिए मालदीव की सरकार ने भारतीय सैनिकों की तैनाती की मंज़ूरी देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि यह निराधार आरोप है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय व अपने पड़ोसियों के संबंधों को सुधारने में सरकार की पहल से लोगों का ध्यान भटकना है।
भारत के साथ प्रगाढ़ मित्रता
भारत की यात्रा पर अब्दुल्ला शाहिद ने कहा था कि यह देश हमारे सबसे करीबी साझेदारों में से एक है। उन्होंने कहा कि “हमारा सन्देश स्पष्ट है, भारत हमारा सबसे करीबी और भरोसेमंद साथी और पड़ोसी है।” हमारी दोबारा भारत और मालदीव की दोस्ती और संबंधों को जागृत करने की प्रतिबद्धता है।
मालदीव के साथ रिश्ते को अधिक गहरा करने के लिए भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी 17 नवम्बर 2018 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए थे।
इब्राहीम सोलिह की भारत यात्रा
मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह हाल ही में तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आये थे। यह उनकी पहली विदेशी आधिकारिक यात्रा थी और इस दौरान वह राष्ट्रपति भवन में में ठहरे थे।पीएम मोदी ने कहा था कि भारत मालदीव को 1.4 अरब डॉलर की मदद का ऐलान करता है, जो मालदीव के बजट में सहायक, मालदीव के सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में लाभकारी सिद्ध होगी।
भारत ने मालदीव में राजनीतिक संकट के दौरान दखलअंदाजी की और निरंतर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करने की हिदायत दी थी। बीते फरवरी माह में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया था।
भारत ने पूर्व राष्ट्रपति के इस निर्णय का विरोध किया और कहा कि सरकार को अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए और राजनीतिक प्रक्रिया का पालन करते हुए राजीनीतिक हस्तियों को कैद से रिहा कर दिया जाना चाहिए। मालदीव में उस दौरान का आपातकाल 45 दिनों तक चला था।