मालदीव मे जारी संकट भारत के लिए परेशानी बन चुका है। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का झुकाव भारत की तरफ न होकर चीन व पाकिस्तान की तरफ दिख रहा है। भारत के सभी सहयोगों को दरकिनार कर यामीन चीन के प्रति वफादारी दिखाने का प्रयास कर रहे है। मालदीव में जारी आपातकाल के बीच अब यामीन ने नया फैसला लिया है।
दरअसल राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यालय के बयान के मुताबिक मालदीव राजदूतों को अपने मित्र व अनुकूल राष्ट्रों के पास भेजेगा जो उन्हें मालदीव की वर्तमान स्थिति के बारे में अपडेट देंगे। हैरानी की बात ये है कि इसमें भारत का उल्लेख नहीं है। इसका मतलब साफ है कि मालदीव, भारत को मित्र राष्ट्र नहीं मानता है।
भारत के खिलाफ रणनीतिक चाल चलते हुए चीन ने मालदीव में भारी निवेश किया है। वहीं सऊदी अरब भी यहां निवेश कर रहा है। यामीन के कार्यकाल में भारत व मालदीव में काफी दूरी देखी गई है।
बुधवार को यामीन के कार्यालय से बयान जारी कर कहा गया कि मालदीव के मित्र राष्ट्रों चीन, पाकिस्तान व सऊदी अरब मे स्थित मालदीव के राजूदत देश की वर्तमान स्थिति से इन देशों को रूबरू करवाएंगे।
दुनिया की निगाहें मालदीव संकट पर टिकी हुई है। इसलिए ही अपने मित्र राष्ट्रों को वास्तविक स्थिति व संकट बताने के लिए राष्ट्रपति ने राजदूतों को यहां भेजने का निर्णय किया है।
यह घोषणा जब जारी हुई है तब चीन ने सैन्य हस्तक्षेप के लिए चेतावनी देते हुए कहा था कि ये स्थिति अधिक मुश्किल हो सकती है।
वहीं इससे पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से मदद की अपील की थी। नशीद ने भारत को सैन्य बल भेजने की मांग की थी। भारत ने अभी तक नशीद की इस अपील पर कोई जवाब नहीं दिया है। भारत मालदीव संकट पर पूरी नजर बनाए हुए है।