भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध बिगड़ते जा रहे हैं और चीन मध्यस्थता का आग्रह कर, अपनी महत्वकांक्षी परियोजना को अंजाम देना चाहता है। हाल ही चीनी उप विदेश मंत्री कोंग सुआनयोउ ने पाकिस्तान की यात्रा की थी और दोनों पक्षों से संयमता से पेश आने का आग्रह किया था। पाकिस्तान ने चीन के निष्पक्ष और उद्देश्य की सराहना की थी और तनाव कम करने में चीन के प्रयासों के लिए कहा था।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव पर रिपोर्ट पेश की है। इसके मुताबिक चीन और अन्य देशों की मदद से पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त वापस इस्लामाबाद लौट आएं हैं। मसलन दो परमाणु संपन्न देशों के मध्य जंग की संभावनाएं टल गयी हैं। भारत और पाकिस्तान कैसे विवाद का समाधान करेंगे यह सवाल दोनों मुल्कों को दशकों से सता रहा है लेकिन इसका हल अभी तक नहीं मिल सका है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिरोध के बढ़ते की स्थिति थी, यहां तक कि वे जंग के मुहाने पर खड़े थे। यह हालात खतरनाक साबित हो सकते थे। दोनों देश परमाणु संपन्न देश है और यह जंग क्षेत्रीय स्थिरता को हिला कर रख देती। हालाँकि अभी दोनों राष्ट्रों के बीच जंग के आसार कम ही दिखते हैं।
दोनों देशों को हालातों पर काबू करने का सुझाव इस रिपोर्ट में दिया गया है। इसके मुताबिक “हमें यकीन है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए राजनीतिक वार्ता सबसे महत्वपूर्ण है। यही चीन की सिलसिलेवार नीति रही है। भारत और पाकिस्तान के मध्य शांतिपूर्ण वार्ता ही हमारा मत है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा।”
लेख में लिखा है कि “भारत चीन के प्रयासों पर संदेह करता है। कई भारतीय जानकार चीन पर आतंकियों को संरक्षित करने के आरोप लगाते हैं जो कथित तौर पर पाकिस्तान में बसे हैं और उन्होंने ही फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले को अंजाम दिया था। कई भारतीय विशेषज्ञ मानते है कि चीन की बीआरआई परियोजना भूराजनीतिक खतरा है।”
चीनी अखबार ने कहा कि “ऐसे गैरजिम्मेदाराना बयान बिना तथ्यों के होते हैं। 27 फरवरी को भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों ने 16 वीं त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन किया था। इसमें आतंकवाद और अतिवाद को खत्म करने की कसम खाई गई थी। भारत को इस समय ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाना बंद करना चाहिए। पाकिस्तान को चीन गरीबी से उभारने और आतंकवाद का खात्मा करने के लिए मदद करता है, बीजिंग नई दिल्ली का दुश्मन नहीं है।”
चीनी अखबार ने कहा कि “भारत को बीआरआई को लेकर अपने पूर्वाग्रहों को बदलना चाहिए। बीआरआई सहयोग में इजाफा करेगा और क्षेत्रीय स्थिरता को बरकरार रखेगा। भारत-पाक गतिरोध में चीन किसी का पक्ष नहीं लेगा। हमारा मकसद दोनों देशों के मध्य तनाव को कम करना है और आतंकविरोधी गतविधियों में सुधार करना है। इस जारी तनाव में चीन मध्यस्थ और सुगम किरदार निभाएगा।”