जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता ओमार अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर के मसले पर बातचीत से पहले पाकिस्तान को भारत की परेशानियों को समझना चाहिए।
जम्मू कश्मीर के नेता हम अभी चुनावी दौर से गुजर रहे हैं, इस दौरान पाकिस्तान को भारत की वाजिब चिंताओं को समझने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पाकिस्तान को थोड़ा सोचना चाहिए।
इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज ने भारत और पाकिस्तान के रिश्ते के बदलते दौर के बाबत ओमार अब्दुल्ला ने कहा कि मुम्बई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को पाकिस्तान में बेरोक टोक घूमने देने की इजाज़त देना, भारत के लिए एक झटका साबित हुआ है। ऐसा करके पाकिस्तान ने भारत के भरोसे को तोड़ा है।
लंदन में आयोजित इस कार्यक्रम के इतर ओमार अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के मान पर पाकिस्तान में इमरान खान का दास डाक टिकट जारी करने का फैसला दोनों राष्ट्रों के मध्य दूरियां बढ़ रहा है। यह फैसला विश्वास बहाली के विपरीत कार्य कर रहा है।
पाकिस्तान ने हाल ही में कश्मीर के आतंकवादी बुरहान वानी और अन्य आतंकियों के नाम पर 20 डाक टिकटें जारी करने का ऐलान किया था। पाकिस्तान के इस फैसले के कारण भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के मध्य बातचीत रद्द हो गयी थी।
ओमार अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है और उसके साथ हमारे जो भी विवाद है, उन्हें सुलझाने का युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। बातचीत कर जरिये हमें दोनों राष्ट्रों के मध्य सभी मतभेद सुलझाने होंगे। हालांकि इसके लिए हमे भी पाकिस्तान की।चिंताओं को समझना होगा।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने वहां के राज्यपाल सत्यपाल मालिक और युवाओं के बीच संपर्क की कमी की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द युवाओं और सरकार के बीच के अंतर को कम करना होगा। उन्होंने कहा कि साल 1990 के मुकाबले आज युवा राह भटककर आतंकवाद को चुन रहे हैं। शिक्षित और नौकरीपेशा युवाओं का ऐसे चरमपंथ की मार्ग पर चलना बेहद चिंताजनक विषय है।