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    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

    पाकिस्तान ने फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स से भारत को एशिया पैसिफिक जॉइंट ग्रुप की सह सदस्यता से हटाने की मांग की है। पाकिस्तान अभी एफएटीएफ की ग्रे फेरहिस्त में शामिल है। एफएटीएफ की बैठक पेरिस में आयोजित हुई थी, जिसमे 38 सदस्य देश है। एफएटीएफ ने बयान जारी कर कहा कि “तय समयसीमा में सीमित प्रगति ही हुई है। उन्होंने पाकिस्तान से दरख्वास्त की कि वह अपने एक्शन प्लान को जल्द ही पूरा करें, वो भी मई 2019 की समयसीमा में इसे समाप्त कर दे।”

    डॉन के मुताबिक पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्शल बिल्लिंग्सली को पत्र में लिखा कि ” एशिया पैसिफिक जॉइंट ग्रुप में भारत के आलावा किसी अन्य देश को नियुक्त किया जाए, ताकि एफएटीएफ की समीक्षा प्रक्रिया निष्पक्ष, स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ हो सके।” यह जॉइंट ग्रुप एफएटीएफ की उपसंस्था इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यु ग्रुप का एशिया पैसिफिक ग्रुप है।

    पाकिस्तान एपीजी का सदस्य है और उसके केस एफएटीएफ के पास जाने से पूर्व एपीजी के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। भारत की फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर जनरल एपीजी के सह अध्यक्ष हैं।

    पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने कहा कि “पाकिस्तान के प्रति भारत का बैर जगजाहिर है और हाल ही में पाकिस्तान के एयरस्पेस का उल्लंघन और हमारे क्षेत्र में बमबारी करने से, भारत का शत्रुतापूर्ण रवैया भी सामने आया है। हमें यकीन है कि आईसीआरजी की प्रक्रिया  में भारत की मौजूदगी पाकिस्तान के लिए निष्पक्ष नहीं होगी।”

    नेशनल एक्शन प्लान को अमल में लाने को लेकर एफएटीएफ के अध्यक्ष को सुनिश्चित करते हुए असद उमर ने कहा कि “एफएटीएफ और आईसीआरजी का मंच भारत को पाकिस्तान के खिलाफ राजनीतिक भाषण देने के लिए मुहैया नहीं करना चाहिए।”

    सूत्रों के मुताबिक “आतंकियों की वित्तीय सहायता पर पाबन्दी लगाने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता की इस वर्ष जून और अक्टूबर में समीक्षा की जाएगी। अगर प्रधानमंत्री इमरान खान का देश अपने लक्ष्य को भेद नहीं पाया तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जायेगा।”

    पाकिस्तान को बीते सूची में शामिल किया गया था और इस बैठक में उसके बाहर निकलने की आशा कम ही दिखाई देती है। सूत्र ने कहा कि “इस अभिलेख से भारत पड़ोसी मुल्क के आतंकवाद के साथ का खुलासा करेगी और पाकिस्तान पर दबाव बनाएगी।”

    ब्लैकलिस्ट होने से पाकिस्तान पर वित्तीय समस्याओं का पहाड़ टूट सकता है। आगामी निवेश और सहायता मुश्किल में आ सकती है। यह मुल्क को गंभीर नकदी संकट की तरफ धकेल सकता है। फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स एक सरकारी संस्था है जो आतंकियों के वित्तपोषण और अन्य मामलों पर कार्रवाई करती है। इसका गठन साल 1989 में हुआ था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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