इस वर्ष की शुरुआत से ही भारत से तक़रीबन एक हज़ार से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश की तरफ गए हैं। एक अधिकारी के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिमों में प्रत्यर्पण का भय था। संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतर्राष्ट्रीय संघठन भारत की आलोचना कर रहे हैं।
मानवधिकार संघठनों का कहना है कि भारत ने मानवधिकार कानून की मर्यादा की अवमानना की है। हाल ही में भारत ने कई रोहिंग्या मुस्लिमों के उत्पीड़न के बावजूद उन्हें वापस म्यांमार भेजा था। इसकर लिए भारत को अंतर्राष्ट्रीय समूहों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।
इंटर सेक्टर कॉर्डिनेशन ग्रुप के प्रवक्ता ने बताया कि तीन जनवरी के बाद से रोहिंग्या शरणार्थियों की आवाजाही में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अभी इस वक्त भारत से 300 परिवारों के करीब 1300 लोग बांग्लादेश पंहुच चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार परिषद के प्रवक्ता फिरास अल खतीब के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी समिति को इसकी जानकारी है। भारत से बॉर्डर क्रॉस कर के बांग्लादेश में दाखिल हुए शरणार्थियों को बांग्लादेशी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और शरणार्थियों के निवास स्थान कॉक्स बाजार भेज दिया गया है।
कॉक्स बाजार बांग्लादेश के दक्षिणी जिले में स्थित है और दुनिया का सब्सर विशाल शरणार्थी स्थान हैं। खबरों के मुताबिक 40 हज़ार रोहिंग्या शरणार्थियों ने भारत मे शरण ली थी। बांग्लादेश की पुलिस के अनुसार लंबे अरसे से भारत में रह रहे शरणार्थियों ने सीमा पार की है। रोहिंग्या शरणार्थियों ने दशकों से म्यांमार में उत्पीड़न सहा है और उन्हें म्यांमार की नागरिकता देने से परहेज किया जाता है।
म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों को अवैध बंगाली घुसपैठिये कहकर संबोधित किया जाता है। ऑक्सफोर्ड मानवधिकार समूह ने कहा कि ‘भारत सरकार और भारतीय उच्चतम न्यायालय ने के अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है’। अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने का आदेश दिया था।
बीते हफ्ते के रोहिंग्या शरणार्थियों को सऊदी अरब से बांग्लादेश वापस भेजा गया था। उन पर अवैध तरीके से जाली बांग्लादेशी पासपोर्ट बनाकर सऊदी अरब में प्रवेश करने का आरोप था।