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    भारत और अमेरिका

    भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि “भारत और अमेरिका दोनों रणनीतिक संबंधो में तीव्रता के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधो के सन्दर्भ में मैंने काफी असाधारण बदलाव देखे हैं और मैं हमेशा आशावादी रहूँगा कि यह इस्र्फ़ शुरुआत है और हम ज्यादा कर सकते हैं।”

    जयशंकर ने भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत फ्रैंक जी विस्नेर से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि “जब हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के संभावितराज्यों की तरफ देखते हैं तो हमें लगता है कि हम अत्यधिक ज्ञान पर आधारित तकनीको और अर्थव्यवस्थाओ की तरफ बढ़ रहे हैं। एक देश की वृद्धि से दूसरे की वृद्धि जुड़ी हुई है।”

    उन्होंने कहा कि “मेरे लिए मानव तत्व महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इन्हें दोनों पक्षों की वास्तविक उम्मीदों से जुड़े होने की जरुरत है। एक देश अपने रणनीतिक मार्गो और विकल्पों पर दृढ हो सकता है। चीन के विस्तार के कारण यह एक अलग विश्व बन जायेगा। पिछली दफा वैश्विक शक्ति में वृद्धि का परिणाम दूसरे विश्व युद्ध के रूप में मिला था, जो अमेरिका और सोवियत संघ के बीच था।”

    विदेश मंत्री ने समस्त विश्व में दरकिनार किये गए मुद्दों को भी उठाया है। इसमें अफ्रीका का भविष्य, खाड़ी में अस्थिरता और मध्य पूर्व में रूस की भूमिका शमिल है। उन्होंने कहा कि “मेरे लिए विदेश नीति के रणनीतिक ढांचे में बहुपक्षवाद से अधिक जरूरी बहु विपरीतता होगी। अच्छी कूटनीत का मलतब पहले ज्यादा अच्छा आज होना है। जब मैंने यह कहा था तो रोडमैप स्पष्ट नहीं था।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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