चीन ने अपनी महत्वकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत अफ्रीकी देशों तक अपनी पंहुच का प्रसार किया है। भारत भी अपनी सैन्य पंहुच को अफ्रीकी राष्ट्रों तक पंहुचाने के प्रयासों में वृद्धि करना चाहता है। भारत आगामी वर्ष 18 से 27 मार्च तक पुणे में “इंडिया-अफ्रीका ट्रेनिंग एक्सरसाइज़” का आयोजन करेगा। इसमें दर्ज़नो अफ्रीकी देश भागीदार बनेंगे।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सुरक्षा बल कई अफ्रीकी देशों के सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण भी देंगे, यह पहला ऐसा अभ्यास है जहां एक बार में अकि सेनाएं मौजूद होंगी। आईएएफटीएक्स के आयोजन की योजना आर चर्चा कुछ दिनों पहले ही आयोजित हुई थी, हालांकि इसके बाबत एक अन्य बैठक जनवरी में भी आयोजित होगी।
रक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिए भारत के सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी 17 से 20 दिसम्बर तक तंज़ानिया और केन्या की यात्रा करेंगे। इस नीति के तहत भारत रक्षा समझौते से सम्बंधित वार्ता कई देशों के साथ करेंगे। मसलन बोत्सवाना, मिस्र, केन्या, मोर्रोको, नामीबिया, नाइजीरिया व अन्य राष्ट्रों की यात्रा करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक भारत ने कभी अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास का आयोजन नहीं किया है, जबकि भारत के अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ गहरे समबन्ध है। इस अभ्यास में मानवीय कदम और शांति कायम रखने का अभियान भी शामिल होगा, जिसका भारत एक लम्बे अंतराल से प्रयास कर रह है।
भारत के लिए यह साल सैन्य कूटनीति से भरा होगा, भारत पी-5 यानी पांच ताकतवर देशों अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ सैन्य अभ्यास करता है जबकि एशियाई देशों सिंगापुर, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड के साथ कोई द्विपक्षीय सैन्याभ्यास नहीं करता है।
भारत के समक्ष चीन की तरह अफ्रीका के साथ आर्थिक और सैन्य विकास के लिए उपयुक्त राशि नहीं है। चीन की बीआरआई परियोजना से अमरीका, ब्रिटेन और यूरोप भय की स्थिति में है। हाल ही में अमेरिका के राज्य सचिव ने कहा था कि अमेरिका के लिए ईरान और रूस से ज्यादा खतरनाक चीन है।
जुलाई में चीन ने अफ्रीका में भारत और चीन की नई दुश्मनी की अफवाहों कोखारिज किया था और कहा कि अन्य देशों की सहायता में एशिया के दो महारथी साथ हैं।