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भारत चीनी सेना

चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी ने कहा कि भारत और चीन की सेना को एक-दूसरे के देश के विश्वविद्यालयों में सीमा सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण देकर समझौतों का विस्तार करना चाहिए। सेनाओं को सुनिश्चित होना चाहिए डोकलाम जैसा विवाद दोबारा नहीं हो।

दोनों देशों को लगातार सीमा पर बैठक करना चाहिए। दोनों राष्ट्रों को नेवी में सहयोग, युवा सैन्याधिकारियों का आदान प्रदान, विश्वविद्यालयों का प्रचार, जनता से सम्बंधित, नए क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाना और बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना चाहिए, जिससे भारत चीन सम्बन्ध मधुर हों।

डोकलाम बॉर्डर पर भारतीय और चीनी सैनिकों के मध्य 73 दिनों तक संघर्ष चला था। ये क्षेत्र भूटान द्वारा अधिकृत है लेकिन चीन इस पर दावा करता है। दोनों देशों के राजनेताओं की बातचीत के बाद यह मसला हल हुआ था। इस संघर्ष ने द्विपक्षीय रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी। हालाँकि इस वर्ष भारत और चीन के रिश्ते सुधरने का दोनों राष्ट्रों की सेना पर भी प्रभाव पड़ेगा।

आपको बता दे यह लेख चीन की सेना के आधिकारिक अखबार में प्रकाशित हुआ था। जो सिनो-इंडिया मिलिट्री टाई यानी चीन-भारत सैन्य समझौता पर आधारित था। भारत और चीनी सेनाओं के मध्य शान्ति से दोनों राष्ट्रों के द्विपक्षीय समझौतों को सकारात्मक दिशा मिलेगी।

प्रकाशित लेख के लेखकों ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या सीमा विवाद है। दोनों देशों की सरकारों को सेना के मध्य समझौता कर हालात पटरी पर लौटाने होंगे।

भारत पहले ऐसा देश था जिसने नए चीन को उभारा और चीन को संयुक्त राष्ट्र में तर्कसंगत नामित किया। चीन, म्यांमार और भारत साझा होकर शान्ति कायम रखने के पांच नियमों पर कार्य कर रहे हैं।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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