पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को प्रताड़ित करने की खबर सामने आई है। भारत के पडोसी में मुल्क में भारतीय राजनयिकों का शोषण किया जा रहा है। राजनयिकों को नए गैस कनेक्शन मुहैया करने से इनकार कर दिया है और राजनयिकों के घर आये अथितियों के साथ भी बदसुलूकी की जा रही है।
भारतीय राजनयिकों के साथ बदसुलूकी
पाकिस्तान में कई वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों की इन्टरनेट सर्विस बंद कर दी गयी है। दिसम्बर 10 को एक राजनयिक के घर में एक घुसपैठिये के जबरन घुसने की भी खबर है। इस मसले पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को पाकिस्तान के समक्ष उठाया है।
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय राजनयिकों के साथ पाकिस्तान में बदसुलूकी की जा रही है। इसी साल मार्च में पाकिस्तान में नियुक्त भारतीय राजनयिकों ने शोषण का आरोप लगया था, बल्कि भारत में नियुक्त पाकिस्तानी राजनयिकों ने भी ईसिस तरह के आरोप लगाये थे।
मार्च में उच्च स्तर की वार्ता में दोनों पक्षों ने इस मसले को सुलझाने पर सहमती जताई थी, भारत और पाकिस्तान में राजनयिकों के साथ व्यवहार के लिए 1992 कोड ऑफ़ कंडक्ट के इस्तेमाल पर रजामंदी हुई थी। विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने जुलाई में संसद में कहा था कि भारतीय राजनयिक पाकिस्तान में शोषण, आक्रामक निगरानी और धमकी की नियमित शिकायते करते हैं और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को निवास स्थान के लिए कई शरुआती बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
1992 आचार संहिता
भारत और पाकिस्तान में कूटनीतिक अभियान की शुरुआत कूटनीतिक रिश्तों पर विएना सम्मेलन, 1961 और दोनों राष्ट्रों ने द्विपक्षीय आचार संहिता पर साल 1992 पर दस्तखत किये थे। 1992 भारत- पाकिस्तान आचार संहिता के मुताबिक कूटनीतिक राजनयिकों की परिसर की सुरक्षा और रक्षा और उनके परिवार का साम्मान और संरक्षण करना था।
इसके तहत राजनयिकों के साथ दखल और आक्रामक निगरानी, मसलन मौखिक और शारीरिक शोषण की अनुमति नहीं होनी चाहिए।