भारत के राष्ट्रपति पांच दिवसीय यात्रा पर म्यांमार गए हैं। भारत और म्यांमार की जनता से जनता का संवाद बढाने के लिए म्यांमार भारत के पर्यटकों को वहां पहुँचने पर वीजा मुहैया करेगा। राष्ट्रपति कोविंद ने इस बात का ऐलान किया था। राष्ट्रपति कोविंद का म्यांमार जाने का मकसद भारत के संबंधों को मज़बूत करना है और भारत की पड़ोसी पहले और एक्ट ईस्ट पालिसी को अमल में लाना है।
भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर पूर्व की निवासियों का यहाँ स्वागत है और उन्हें इस समझौते लैंड बॉर्डर क्रासिंग एग्रीमेंट का फायदा उठाना चाहिए। भारत और म्यांमार के बीच बॉर्डर क्रासिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर 11 मई 2018 को हुए थे। यह समझौता अगस्त में प्रभावी हुआ था, तमु-मोरेह और रिहाखाव्दर-ज़ोखाव्तर अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश-निकास चेकपॉइंट को दोनों राष्ट्रों के मध्य खोल दिया था।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अब दोनों राष्ट्र मोटर व्हीकल समझौते को अमल में लाने की सोच रहे हैं। ख़बरों के मुताबी राष्ट्रपति के म्यांमार दौरे के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये जायेंगे। भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी बीते साल म्यांमार की यात्रा पर गए थे जबकि म्यांमार की स्टेट काउंसलर आन सान सु की ने जनवरी में भारत की यात्रा की थी।
राम नाथ कोविंद म्यांमार की राजधानी नय पई तव और यांगून की यात्रा करेंगे साथ ही वह अपने समकक्षी यु विन म्यिंत और स्टेट काउंसलर अंग सान सु की से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति के साथ एक उच्च स्तर का प्रतिनिधि समूह भी जायेगा। बीते तीन वर्षों में म्यांमार के भारत के साथ आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा समझौते में वृद्धि हुई है और अब राष्ट्रपति म्यांमार के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी कर भारत की प्रतिबद्धता को साबित करेंगे।