Wed. Apr 24th, 2024
    पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान

    पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री को अमेरिका ने अफगानिस्तान में शांति के लिए बातचीत करने को पत्र भेजा था। पाकिस्तान ने आखिरकार स्वीकार किया अफगानिस्तान में भारत का भी शेयर हैं और शांति के लिए भारत का सहयोग भी जरुरी है। संसद को संबोधित करते हुए विदेश मन्त्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान अकेले अफगानिस्तान में शांति स्थापित नहीं कर सकता है, यह क्षेत्रीय देशों की साझा जिम्मेदारी है।

    पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने कहा कि अफगानिस्तान में सेना के माध्यम से शांति स्थापित नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान, तालिबान अमेरिका और पाकिस्तान बातचीत के जरिये इस मसले का समाधान चाहते हैं।

    शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति की स्थापना के लिए कई बैठकों का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत का भी अफगानिस्तान में शेयर हैं और शांति के लिए उनके सहयोग की भी आवश्यकता है। अमेरिका ने संकेत दिए थे कि अफगानिस्तान में शांति की जिम्मेदारी भारत को सौंपेंगे लेकिन पाकिस्तान के एक लम्बर अरसे से अफगानिस्तान में जमे रहने के कारण यह स्पष्ट था कि अफगानिस्तान में भारत का कोई किरदार नहीं है।

    पाकिस्तान के मुताबिक अफगानिस्तान में विकास भारत की रणनीति के तहत है। ट्रम्प ने पत्र में लिखा कि उनकी सबसे महत्वपूर्व क्षेत्रीय प्राथमिकता अफगान जंग बातचीत करना है। उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन और सहूलियत की मांग की है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जंग की कीमत पाकिस्तान और अमेरिका दोनों को चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें साथ कार्य करने के अवसरों का विस्तार करना चाहिए और साझेदारी को दोबारा मज़बूत करना चाहिए।

    पाकिस्तान के विदेश मन्त्री ने कहा कि 15 दिसम्बर को अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान वह अफगान सरकार से राजनीतिक सुलह और शांति प्रक्रिया के बाबत बातचीत करेंगे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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