पिछले कुछ सालों में विमान ईंधन की घटी हुई कीमत की वजह से घरेलु एयरलाइनों ने भारत के साथ ही विदेश में भी लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।
डीजीसीए की एक रिपोर्ट के अनुसार 2004 में भारतीय कंपनियों का इस व्यवसाय में 37 % का हिस्सा था जो आज बढ़ कर 39.1% हो गया है।
भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने पिछले 3 सालों में विदेश के लिए उड़ान भरने के साथ ही विदेशी कंपनियों को भी कड़ी चुनौती दी है। वर्तमान में भारतीय एयरलाइन ने उड़ानों का काफी हिस्सा संभाला हुआ है।
घरेलू एयरलाइनें जैसे एयर इंडिया के साथ ही स्पाइस-जेट व इंडिगो एयरलाइन ने भी इस दौरान काफी विदेशी उड़ानों काफी सफलता हासिल की है।
जिस तरह से इन घरेलु एयरलाइनों ने विदेशों में भी अपना दायरा बढ़ाया है, उसका मुख्य कारण विमान के ईंधन का सस्ता होना माना जा रहा है।
इसी तरह गल्फ देशों, बैंकॉक, सिंगापुर जैसी छोटी दूरी की विदेशी उड़ानों में घरेलु एयरलाइनों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
इसी कड़ी में एयर एशिया और विस्तारा एयरलाइन विदेश के लिए अपनी सुविधा इसी साल दिसम्बर तक शुरू कर सकती है। इन दोनों की सुविधा शुरू होने के साथ ही विदेशी एयरलाइनों को और भी कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है।
भारतीय एयरलाइनों का किराया बाक़ी विदेशी एयरलाइनों से कम है। कम किराए के बावजूद विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस इन एयरलाइनों को विदेशी यात्री भी काफी पसंद कर रहे हैं और यही भी एक बड़ा कारण है जो विदेशी एयरलाइनों को और भी ज्यादा परेशान कर सकता है।
इस तिमाही के आखिरी तक भारतीय एयरलाइनों ने करीब 6.8% की बढ़ोतरी के साथ ही करीब 15.7 मिलियन यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।
वर्तमान में विदेश के लिए उड़ान की सुविधा देने में 84 विदेशी कंपनिओं के मुक़ाबले मात्र 5 ही भारतीय एयरलाइन हैं। भारत से इस समय 56 देशों के लिए 325 मार्गों पर उड़ान की सुविधा उपलब्ध है।