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    ई पलानीस्वामी और ओ पन्नीरसेल्वम

    सत्ताधारी भाजपा सरकार आगामी 2019 चुनावों के मद्देनजर अभी से तैयारी में लग गई है। हाल ही में भाजपा के ‘मिशन-2019’ की राह में सबसे बड़ा रोड़ा और केंद्र में विपक्ष के संभावित महागठबंधन का चेहरा माने जा रहे नीतीश कुमार के भाजपा से हाथ मिलाने के बाद एनडीए और मजबूत हो गया है। अब एनडीए में अगला संभावित घटक दल तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके हो सकती है। सूत्रों की मानें तो अगस्त के पहले हफ्ते में ही केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में फेरबदल की सम्भावना है और एआईएडीएमके एनडीए में शामिल हो सकती है। वैसे इस बात की अटकलें तभी से लगनी शुरू हो गई थी जब एआईएडीएमके ने राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। जयललिता की मौत के बाद से तमिलनाडु में राजनीतिक हालात स्थिर नहीं हैं और ऐसे में भाजपा का साथ एआईएडीएमके को भी स्थायित्व देने में कारगर सिद्ध होगा।

    नरेंद्र मोदी और ई पलनीस्वामी

    एआईएडीएमके इससे पहले भी भाजपा की सहयोगी की भूमिका में एनडीए की संघटक रह चुकी है। तब 1999 के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी जी की गठबंधन सरकार को एआईएडीएमके का समर्थन हासिल था। अभी हाल ही में जेडीयू भी भाजपा का साथी बन अपने पुरानी भूमिका में लौट आया है और जेडीयू के कुछ नेताओं के केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में शामिल होने की भी सम्भावना है। भाजपा आने वाले समय में कई अहम् कदम उठाने वाली है। इनमें केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में फेरबदल, राज्यपालों की नियुक्ति और पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति प्रमुख है। ऐसे में एआईएडीएमके से गठबंधन को लेकर निर्णय शीघ्र हो सकता है। एआईडीएमके की तरफ से भी गठबंधन करने को लेकर आतुरता दिखी है और यह लाजिमी भी है क्योंकि उसकी चिर-प्रतिद्वंदी डीएमके ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है। ऐसे में दोनों ही दलों के लिए यह फायदे का सौदा साबित होगा।

    गठबंधन से भाजपा को मिलेगा फायदा

    इस गठबंधन से भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है। एआईएडीएमके पहले तीसरे मोर्चे की राजनीति करने वालों दलों में गिना जाता था और तीसरे मोर्चे का प्रमुख सदस्य था। पार्टी का दक्षिण में बड़ा जनाधार है और सदन में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरा सबसे बड़ा दल है। दोनों सदनों को मिलकर एआईएडीएमके के पास 50 सांसद है जो इसकी क्षमता को दर्शाते हैं। पिछले दो चुनावों से तमिलनाडु में पार्टी सत्ता में हैं और दक्षिण भारत का सबसे बड़ा दल है। भाजपा दक्षिण में अपने पाँव ज़माने की कोशिश कर रही है और ऐसे में एआईएडीएमके से उसका गठबंधन ‘सोने पर सुहागा’ साबित होगा। यह गठबंधन भाजपा के लिए ‘मिशन-2019’ की राह और आसान कर देगा और उसे दक्षिण में वजूद भी देगा। पार्टी में अभी दो फाड़ दिख रहे हैं और दोनों ही भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में मुमकिन है भाजपा से गठबंधन फिर से एआईएडीएमके को एक कर दे और उनकी संयुक्त ताकत दक्षिण भारत के राजनीति की दिशा बदल दे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।