राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ब्रिक्स देशों की एनएसए की प्रस्तावित बैठक में भाग लेने 26-27 जुलाई को बीजिंग जायेंगे। वहाँ पर उनकी चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाक़ात संभव है। उम्मीद की जा रही है कि उनकी आपसी बातचीत के बाद इस विवाद का कोई न कोई हल जरूर निकल आएगा।
यह विवाद तब शुरू हुआ था जब चीन ने भूटान के अधिपत्य वाले क्षेत्र में सड़क-निर्माण का कार्य शुरू करना चाहा। तब भारतीय सैनिकों ने जाकर निर्माण कार्य को रोक दिया था। तभी से इस मुद्दे पर गतिरोध कायम है। चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा जाता रहा है जबकि भूटान का कहना है कि यह क्षेत्र उसकी सीमा के अंतर्गत आता है। इस घटना को एक महीने बीत चुके हैं और इसे लेकर अभी भी सिक्किम सेक्टर में तनाव है।
भारत और चीन का सीमा विवाद भी वर्षों पुराना है जिसपर वार्ता होने की उम्मीद है। इसमें मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर बात होगी।
पहले भी हुयी थी बातचीत
इस विवाद को लेकर हाल ही में जर्मनी के हैम्बर्ग में आयोजित जी-20 देशों के सम्मलेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वार्ता हुयी थी। चीनी सरकार का कहना है कि वह कोई आधिकारिक वार्ता नहीं थी। विदेश मंत्रालय ने भी इस मुलाक़ात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी।
बुलाई विपक्ष की बैठक
इस विवाद के मद्देनजर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आवास पर विपक्ष की बैठक बुलाई है। इसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी उनके साथ होंगी। विपक्ष को मौजूदा हालातों से अवगत कराया जायेगा और भविष्य की रणनीति तैयार की जायेगी। भूटान पर भारत का स्टैंड और अरुणाचल सीमा विवाद ये दो मसले हैं जिनपर विपक्ष सरकार को घेर सकती है। आगामी मानसून सत्र जो 17 जुलाई से शुरू हो रहा है उससे पहले सरकार विपक्ष को भरोसे में लेना चाहती है ताकि संसद की कार्यवाही बाधित ना हो।