अमित शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस समय देश भर के राज्यों में जाकर पार्टी नेताओं और संगठन कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। वह उनसे मिलकर मौजूदा हालातों की जानकारी और बेहतरी के सुझाव ले रहे है। इसी क्रम में उन्होंने पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखण्ड का दौरा किया। अपने बिहार दौरे के दौरान अमित शाह ने बिहार भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उनके बिहार दौरे को आगामी लोकसभा चुनावों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भाजपा-जेडीयू गठबंधन होने और जेडीयू के एनडीए में शामिल होने के बाद से अमित शाह का यह पहला बिहार दौरा है। जेडीयू को एनडीए में शामिल करने में अमित शाह ने अहम भूमिका निभाई थी और और यह बता दिया था कि क्यों उन्हें भाजपा का चाणक्य कहा जाता है।

अपने बिहार दौरे के दौरान अमित शाह ने राज्य के सभी संगठन पदाधिकारियों और नेताओं से मुलाकात की। बिहार सरकार में मंत्री पद पर काबिज नेताओं को उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि वे यह निश्चित करें कि सरकार की सभी योजनाएं जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुँच रही है या नहीं। साथ ही उन्होंने मंत्रियों को सोमवार और मंगलवार को जनता से मिलने के लिए भी कहा। बैठक के बाद अमित शाह ने मीडिया को कहा कि यह बैठक मुख्य रूप से भाजपा के संगठन की बैठक थी। इस बैठक में राज्य में भाजपा संगठन को और मजबूत बनाने की बात पर चर्चा हुई। माना जा रहा है कि इस बैठक में 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य में होने वाले सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई।

सीटों के आंकलन में जुटी भाजपा

भाजपा की राज्य इकाई अभी से राज्य में सीटों के आंकलन में जुट गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के बाद राज्य में पार्टी संगठन के नेता और पदाधिकारी हर सीट पर जातीय वोटों के समीकरण और अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इस रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्रियों को भेजा जाएगा जिसपर आखिरी मुहर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगाएंगे। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू हाल ही में एनडीए में शामिल हुई है। पिछले कुछ समय से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जेडीयू 2019 के लोकसभा चुनावों में बिहार में ज्यादा सीटें मांग सकती है। ऐसे में अमित शाह ने बिहार यात्रा कर संगठन कार्यकर्ताओं को साधने का काम किया है। जेडीयू के एनडीए में शामिल होने का भाजपा को निश्चित तौर पर फायदा होगा और 2019 के लोकसभा चुनावों में बिहार में क्लीन स्वीप की स्थिति बन सकती है।

भाजपा में शामिल हो सकते हैं कई सांसद और विधायक

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जिस भी राज्य में जाते हैं वहाँ की राजनीति में कुछ उथल-पुथल देखने को जरूर मिलती है। अमित शाह के बिहार दौरे के बाद इन चर्चाओं को बल मिला है कि बिहार से कई सांसद और विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बिहार कांग्रेस में इन दिनों बगावत के आसार नजर आ रहे हैं और आरजेडी के कई नेता भी लालू यादव के पुत्रमोह से खफा हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि ये रुष्ट विधायक और सांसद लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अमित शाह पहले ही भाजपा में कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन के जातीय समीकरणों को कमजोर कर चुके हैं। जेडीयू के अलग होने के बाद कमजोर हो चले महागठबंधन के कुछ सांसदों और विधायकों का भाजपा में शामिल होना महागठबंधन के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है।

कमजोर पड़ चुकी है महागठबंधन की बयार

मोदी लहर के खिलाफ भाजपा का विजय रथ थामने के लिए जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस ने ऐतिहासिक महागठबंधन किया था। इस महागठबंधन को बिहार की जनता का भरपूर समर्थन मिला था और उसने बिहार विधानसभा चुनावों में सफलता के नए झंडे गाड़े थे। हालाँकि 20 महीनों बाद ही यह महागठबंधन बिखर गया और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार भाजपा के खेमे में वापस लौट आए। सत्ता छिनने के बाद कांग्रेस और आरजेडी में भी बगावत के सुर उठने लगे और महागठबंधन की जड़ें कमजोर हो गई। अब पुनः 2014 के लोकसभा चुनावों वाले हालात बनते दिख रहे हैं जब महागठबंधन के सभी दलों ने बिहार में अलग-अलग चुनाव लड़ा था और एनडीए को इसका फायदा मिला था। अब जब जेडीयू एनडीए में शामिल हो चुकी है तो आगामी चुनावों में बिहार जीतना उसके लिए मुश्किल नहीं होगा।

एक बार में साधा बंगाल-बिहार-झारखण्ड

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार में ही पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखण्ड का दौरा किया। वर्तमान में झारखण्ड में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है पर 2014 के लोकसभा चुनावों के वक्त भाजपा को यहाँ कोई खास सफलता नहीं मिल सकी थी। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट ही भाजपा के हाथ लगी थी। भाजपा का कमोबेश यही प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में भी रहा था। पश्चिम बंगाल में भाजपा को हिंदी भाषी जनसंख्या बाहुल्य मतदाता क्षेत्र आसनसोल में जीत हाथ लगी थी जहाँ से बॉलीवुड गायक बाबुल सुप्रियो ने चुनाव जीता था। इसके अतिरिक्त दार्जिलिंग से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने चुनाव जीता था। राज्य की शेष सभी 38 सीटों पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी।

बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी का हाथ थामा था वहीं भाजपा ने लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। नीतीश कुमार की जेडीयू ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा था। राज्य की कुल 40 सीटों में से 31 सीटें भाजपा और सहयोगी दलों की झोली में आई थी वही यूपीए को 6 सीटों पर सफलता मिली थी। जेडीयू को 2 सीटों पर जीत मिली थी वहीं एनसीपी एक सीट जीतने में सफल रही थी। हालाँकि बिहार विधानसभा चुनावों के वक्त एक हुए जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 178 पर कब्जा जमा लिया था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और महागठबंधन के अगुआ नीतीश कुमार भाजपा के पाले में लौट आए हैं।

हाल ही में हुए मोदी मन्त्रिमण्डल विस्तार में भी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार का खास ध्यान रखा गया था और यहाँ से 2 नए चेहरों को मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था। जेडीयू के एनडीए में शामिल होने के बाद हालात भाजपा के अनुकूल हो गए हैं और एनडीए 2019 के लोकसभा चुनावों में बिहार में क्लीन स्वीप करने की स्थिति में नजर आ रही है। इसके अतिरिक्त अमित शाह के दौरे से पश्चिम बंगाल और झारखण्ड के संगठन कार्यकर्ताओं को भी मजबूत सन्देश मिलेगा। अमित शाह के निशाने पर इन तीनों राज्यों की 94 लोकसभा सीटें हैं और बिहार, झारखण्ड में क्लीन स्वीप करने के साथ ही वह इनमें से 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इन तीनों राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन काफी अहम होगा और वह अमित शाह के “मिशन 350+” की राह को और आसान बनाएगा।

By हिमांशु पांडेय

हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।