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    अशोक चौधरी

    महागठबंधन के टूटने और सत्ता हाथ से निकलने के बाद बिहार कांग्रेस में मचा सियासी घमासान अभी तक शांत नहीं हुआ है। महागठबंधन टूटने के बाद से खबर आ रही थी कि बिहार कांग्रेस के 18 विधायक सत्ताधारी दल जेडीयू में जा सकते हैं। इन खबरों के बाद कांग्रेस आलाकमान सक्रिय हो गया था और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी समेत बिहार कांग्रेस के सभी 27 विधायकों को दिल्ली तलब किया था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इन सभी विधायकों से निजी तौर पर मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद यह माना जा रहा था कि सब कुछ सामान्य हो गया है। पर हाल ही में इस संदर्भ में कार्रवाई करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अशोक चौधरी को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटा दिया था। अशोक चौधरी ने कहा था कि वह विरोधी खेमे के षड्यंत्र का शिकार हुए हैं।

    सोनिया गाँधी और अशोक चौधरी
    सोनिया गाँधी ने अशोक चौधरी को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया

    आज पटना में आयोजित कांग्रेस प्रतिनिधि सम्मलेन में उनके इस दावे को बल मिला। पटना में कांग्रेस प्रतिनिधि सम्मलेन चल रहा था इसी दौरान अशोक चौधरी वहाँ पहुँच गए। उनके पहुँचते ही वहाँ हंगामे की स्थिति हो गई। अशोक चौधरी के समर्थकों और उनके विरोधी खेमे के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी। अशोक चौधरी कांग्रेस प्रतिनिधि सम्मलेन का बहिष्कार करके बाहर निकल आए। उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक में विरोधी खेमे के समर्थकों ने मेरे समर्थकों से हाथापाई की। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में बाहरी लोगों को जगह दी गई है। डेलीगेट्स की सूची मन मुताबिक बनाई गई है ताकि मनचाहा प्रदेश अध्यक्ष चुना जा सके। उन्होंने कहा कि पार्टी को तोड़ने की कोशिश हो रही है और मैं राहुल गाँधी से इसकी शिकायत करूँगा।

    डेलीगेट्स की सूची बदलने का आरोप

    बिहार के पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चौधरी ने आरोप लगाया कि मनचाहा अध्यक्ष चुनने के लिए डेलीगेट्स की सूची बदल दी गई है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चुनने का अधिकार सिर्फ ब्लॉक स्तर के डेलीगेट्स को होता है लेकिन यहाँ दूसरी पार्टियों से आए लोगों को शामिल किया जा रहा है। डेलीगेट्स की सूची को मेरे विरोधी खेमे द्वारा जानबूझकर बदला गया है जिससे वो मनचाहा प्रदेशाध्यक्ष चुन सकें। अशोक चौधरी ने आरोप लगाया कि पैसे लेकर दूसरी पार्टियों के लोगों को डेलीगेट्स की सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से इस बाबत शिकायत करेंगे।

    प्रदेशाध्यक्ष का पद छिनने से नाराज थे अशोक चौधरी

    बिहार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अशोक चौधरी ने कहा था कि वह पार्टी के फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन जिस तरह से अपमानित करके उन्हें निकाला गया है उन्हें उसकी अपेक्षा नहीं थी। उन्होंने इसे पार्टी में मौजूद मेरे विरोधियों की साजिश करार दिया था। अशोक चौधरी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बिहार कांग्रेस का एक धड़ा उन्हें बदनाम करने की साजिश कर रहा है और बगावत की हवा बनाकर उनका नाम खराब कर रहा है। महागठबन्धन में बिखराव के बाद से ही बिहार कांग्रेस में बगावत की आशंका थी। हालाँकि तब कांग्रेस ने दावा किया था कि स्थिति उसके नियंत्रण में है। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने बयान जारी करते कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अशोक चौधरी को पद से हटाया है। नए प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति तक बिहार कांग्रेस उपाध्यक्ष कौकब कादरी यह जिम्मेदारी सँभालेंगे।

    महागठबंधन पर स्पष्ट नहीं था कांग्रेस आलाकमान का रुख

    कभी बिहार की राजनीति पर एकक्षत्र राज करने वाली कांग्रेस पिछले दो दशकों से राज्य में हाशिए पर जा चुकी थी। 2015 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुए महागठबंधन ने बिहार कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया था। कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटें जीतने में सफल रही थी। पिछले 20 वर्षों में बिहार विधानसभा चुनावों में यह कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन ने मोदी लहर को रोक कर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई थी। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र और राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के आरोपों में फँसने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से दामन छुड़ा भाजपा का हाथ थाम लिया था।

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस बाबत नीतीश कुमार से दिल्ली में मुलाकात भी की थी। लेकिन उनकी मुलाकात के 2 दिनों बाद ही नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा के समर्थन से सरकार बना ली। राहुल गाँधी ने तब नीतीश कुमार को विश्वासघाती कहा था। कांग्रेसी विधायक पार्टी आलाकमान के इस निर्णय से बेहद नाराज थे और सत्ता सुख का छिनना उन्हें रास नहीं आ रहा था। कई कांग्रेस विधायकों ने स्पष्ट तौर पर पार्टी आलाकमान के लालू यादव का साथ देने के निर्णय की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि पार्टी को नीतीश कुमार के साथ खड़ा रहना चाहिए था। आलाकमान से बिहार इकाई के आपसी संवाद और तालमेल में कमी के बाद पार्टी में बगावत के सुर फूटने लगे थे।

    दिग्गजों की उपेक्षा से जूझ रही थी बिहार कांग्रेस

    अगस्त महीने के आखिर में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पटना के गाँधी मैदान में केंद्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार के खिलाफ “भाजपा हटाओ, देश बचाओ” रैली का आयोजन किया था। इस रैली में उन्होंने सभी गैर एनडीए दलों को आमंत्रित किया था लेकिन बिहार में महागठबंधन में उनकी सहयोगी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में से कोई भी इस रैली में शामिल नहीं हुआ था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी जहाँ नॉर्वे सरकार के बुलावे पर विदेश यात्रा पर थे वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर रैली से दूरी बनाई। हालाँकि सोनिया गाँधी का रिकार्डेड भाषण और राहुल गाँधी का लिखित सन्देश रैली में पढ़ा गया पर गाँधी परिवार के किसी सदस्य की मौजूदगी पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने का काम करती और इससे पार्टी विधायकों को भी मजबूत सन्देश मिलता।

    कांग्रेस की तरफ से रैली में राज्यसभा के नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, हनुमंत राव और बिहार प्रभारी सीपी जोशी ने शिरकत की थी। हालाँकि इन तीनों नेताओं की सम्मिलित उपस्थिति से ज्यादा प्रभावशाली गाँधी परिवार के किसी एक सदस्य की मौजूदगी होती। लालू यादव और राहुल गाँधी अब एक साथ मंच साझा नहीं करते हैं पर प्रियंका गाँधी मंच पर आकर पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन कर सकती थी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह आज भी कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा हैं और उनकी उपस्थिति भी कांग्रेस को बल देती। लेकिन दिग्गजों की उपेक्षा से कांग्रेस बिहार में फिर से हाशिए की तरफ जाने लगी है। यह 2 दशकों बाद बिहार में महागठबंधन की संजीवनी पाए कांग्रेस के लिए घातक हो सकता है।

    बिहार कांग्रेस विधायकों से निजी तौर पर मिले थे राहुल

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने गुजरात दौरे से लौटने के बाद बिहार कांग्रेस के विधायकों से मुलाकात की थी। 2 दिनों में राहुल गाँधी बिहार कांग्रेस के सभी 27 विधायकों से निजी तौर पर मिले थे और उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की थी कि आखिर वह कौन है जो पार्टी में विभीषण का काम कर रहा है। इस मुद्दे पर पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और विधायक दल के नेता सदानंद सिंह से मुलाकात कर चर्चा की थी। टूट की आशंका को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी के 3 वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद, जेपी अग्रवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया को अलग-अलग दिन बिहार में भेजा था और हालातों का जायजा लिया था।

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने पार्टी के 3 वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद, जेपी अग्रवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बिहार से वापस आने के बाद दी गई रिपोर्ट के आधार पर बिहार कांग्रेस के सभी विधायकों को दिल्ली बुलाया था। राहुल गाँधी ने निजी तौर पर एक-एक करके सभी विधायकों से मुलाकात की थी। बिहार कांग्रेस प्रभारी सी पी जोशी का रुख भी इस मसले पर अहम रहा था। तमाम तथ्यों के अध्ययन और विधायकों से मुलाकात के बाद राहुल गाँधी ने सोनिया गाँधी से विचार-विमर्श किया था। कांग्रेस आलाकमान ने बिहार में विधायकों के बागी हो रहे सुरों के लिए पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक चौधरी को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें पार्टी प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया। उनकी जगह प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष कौकब कादरी को अस्थायी तौर पर यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।