पतंजलि आयुर्वेद, जोकि 2006 में एक साधारण औषधालय के रूप में शुरू हुयी थी वह कुछ ही सालों में विभिन्न अनुभागों में बंटकर इतना बढ़ गयी की वह अब FMCG के बड़े-बड़े बहुराष्ट्रीय दिग्गजों को टक्कर दे रही है।
पतंजलि अगले पांच सालों में वार्षिक आय को 20000 करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य साधा है। इस कंपनी की आय 2012 – 13 में 500 करोड़ थी एवं उसके बाद सिर्फ चार सालों में 10000 करोड़ तक पहुच गया था।
मीडिया में रामदेव का बयान
हाल ही में हुई एवं योग गुरु के बीच वार्ता में जब उनसे अपनी संस्था को IPO घोषित करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब में कहा की वे एक महीने के समय में कोई अच्छी खबर साझा कर सकते हैं। मीडिया अनुमान लगा रही है की शायद वे IPO में अपनी कंपनी को लिस्ट कराने की बात पर अमल कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा की अगर उन्हें यदि हमारे देश में छोटे उद्योगों को सस्ती दरों में आवश्यक सुविधाएं प्रदान कि जाएँ तो यह जल्द ही एक मैन्युफैक्चरिंग हब में तब्दील हो सकता है। देश के बैंकों को विभिन्न उद्योगों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए एवं उनकी भरपूर मदद करने का प्रयास करना चाहिए।
रामदेव के पिछले कुछ बयान
इससे पहले अक्टूबर में बाबा रामदेव ने बयान दिया था की ना तो वे विदेशी इक्विटी और ना ही भारतीय स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग के लिए जाना चाहते हैं क्योंकि पतंजलि एक चैरिटी संस्था है एवं इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि समाज का कल्याण है।
इकनोमिक कॉन्क्लेव 2018 में बाबा रामदेव ने कहा था की पतंजलि कारोबार के हिसाब से 2020 तक हिन्दुस्तान लीवर को शीर्ष से हटाकर एवं 2025 तक भारत का सबसे बड़ा FMCG ब्रांड बनने के लक्ष्य पर काम कर रही है।
पतंजलि आयुर्वेद का हाल ही के महीनों का प्रदर्शन
पतंजलि का पिछले कुछ महीनों में प्रदर्शन इतना अच्छा नहीं रहा। GST के आने से पांच सालों में पहली बार इसकी बिक्री कम हो गयी।
मार्च 2018 में पहली बार पतंजलि की घरेलु उत्पादों से होने वाली आय 10 प्रतिशत घटकर केवल 8148 करोड़ रह गयी। रिपोर्ट्स की माने तो यह वित्तीय वर्ष 2013 के बाद पहली बार इसकी आय का पतन हुआ है।
GST के आने के बाद इस कंपनी को उसी के हिसाब से ढलने में एवं उस कर के हिसाब से अपनी आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने में कुछ वक्त लग गया। इन्ही कारणों के चलते इसे अपनी आय का पतन झेलना पड़ा।