भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर, कई बॉलीवुड सितारों ने अपनी राय व्यक्त की है। IAF पायलट अभिनन्दन के पाकिस्तान में फंसने पर, भारतीय और पाकिस्तानी कलाकारों के बीच लड़ाई भी हो गयी मगर जब ये खबर फिल्ममेकर शेखर कपूर ने सुनी तो वह भावुक हो गए और सोशल मीडिया के जरिये अपना खुद का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे बटवारे के वक़्त, उनके परिवार को सहना पड़ा था।
Last pic of our whole family together. I was 18. Left for London that night. Since then we have all lead our own lives away from home. Only to come together under the same roof for our parents death. What forces in modern India tear us apart yet a love that binds us together? pic.twitter.com/dr1EtCcPDK
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) March 4, 2018
उन्होंने ट्वीट किया-“मेरा जन्म लाहौर में हुआ था। मेरी माँ भारत जा रही ट्रेन में अपने शरीर के नीचे मुझे और मेरी बहन को छुपाकर नरसंहार से बच गई। उन्हें खुद को मृत दिखाया। ज्यादातर लोग मारे गए। विभाजन में दस लाख लोग मारे गए। 10 लाख शरणार्थी। दोनों तरफ। भारत और पाकिस्तान एक लोगों के खून से बना था।”
I was born in Lahore. My mother escaped massacre by hiding me n my sister under her body in a train to india. Playing dead. Most people were killed. One million people died in Partition. 10 million refugees. On both sides. India n Pakistan were created of the blood of one people.
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) February 28, 2019
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता 1998 की हॉलीवुड फिल्म ‘एलिजाबेथ’ के लिए बाफ्टा पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। उन्होंने 1983 में क्लासिक फिल्म ‘मासूम’ और 1987 में श्रीदेवी और अनिल कपूर की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ का निर्देशन किया था।
शेखर ने विंग कमांडर अभिनन्दन को वापस बुलाने के ऊपर भी आवाज़ उठाई थी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा-“आप साहस, देशभक्ति और गरिमा के प्रतीक बन गए हैं। और आशा की किरण भी। हम जल्द ही आपका स्वागत करने के लिए तत्पर हैं, सर।”
#WingCdrAbhinanadan You have become a beacon of courage patriotism and dignity. And also a beacon of hope. We look forward to welcome you home soon, Sir 🙏
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) February 28, 2019
कुछ दिन पहले, उन्होंने लोगो से पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की मांग ना करने के लिए भी कहा था। उन्होंने ट्वीट किया-“युद्ध संबंधी बयानबाजी की लपटों को न भड़काना वास्तव में महत्वपूर्ण है। यह एक खेल नहीं है। आप गोलियों या बमों का सामना नहीं कर रहे हैं। आप वो परिवार नहीं हैं जो प्रार्थना और उम्मीद कर रहे हैं कि आपके पति भाई या पिता सुरक्षित हैं। न ही डर में सीमावर्ती इलाकों में रह रहे हो। बंहदार कुरसी के सिपाही बनना आसान है।”
It’s really important not to fan the flames of war rhetoric. It’s not a game. U r not facing bullets or bombs. U r not the family praying and hoping fervently that your husbands brothers or fathers are safe. Nor living in border areas in fear. It’s easy to be armachair soldiers.
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) February 27, 2019