पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को पेश किये गए अंतरिम बजट में सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक अच्छी खबर सुनाई। बजट में प्रधान मंत्री ने अटल पेंशन योजना के समान ही नयी योजना जारी की है लेकिन इस योजना में मजदूरों को प्रति महीने अटल पेंशन योजना से कम योगदान देना होगा। इस योजना का नाम प्रधान मंत्री श्रम योगी मानधन रखा गया है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना की जानकारी :
यह योजना वर्तमान में चल रही अटल पेंशन योजना के सामान है। यह उन मजदूरों के लिए है जिनकी मासिक आय 15000 रुपयों से कम है। अबसे इन मजदूरों को प्रति महीने केवल 55 रुपयों का योगदान करना पड़ेगा और ऐसा करने पर उन्हें 60 साल की उम्र के बाद 3000 रूपए प्रति महिना सरकार द्वारा प्रदान किये जायेंगे।
इसके अतिरिक्त जो लोग 29 साल की उम्र से इस योजना के लिए योगदान देना शुरू करते हैं तो उनकी 60 साल की उम्र होने के बाद उन्हें हर महीने 3000 रूपए की पेंशन हर महीने दी जायेगी।
विशेषज्ञों का मत :
जैसा की ऊपर बताया गया है की यह योजना अटल पेंशन योजना के समान है। इसी प्रकार इसे उस योजना के समान ही आवंटन सरकार के द्वारा दिया जाएगा। भारत के लगभग 50 करोड़ कार्यबल में से 84% असंगठित क्षेत्र के हैं और किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा नहीं रखते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि नई और अधिक सस्ती पेंशन योजना एक बेहतर सफलता हो सकती है अगर इसे बेहतर तरीके से लागू किया जाए। हालांकि सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन यह माना जाता है कि इस योजना का प्रबंधन पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
इन योजनाओं का बढ़ाया गया आवंटन :
गोयल ने अपने बजट भाषण में यह भी कहा कि 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए जो भारत बनने की इच्छा रखता है, भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। आयात में कटौती के लिए, उन्होंने कहा कि वैकल्पिक ईंधन पर तनाव दिया गया है और भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से परिवहन क्रांति के माध्यम से दुनिया का नेतृत्व करेगा।
इसके चलते लोगों के जीवन के स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में पिछले साल के 15,500 करोड़ से इस साल 19000 करोड़ आवंटित किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों का निर्माण प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत तीन गुना हो गया है। पीएमजीएसवाई के तहत कुल 17.84 लाख बस्तियों में से 15.8 लाख पक्की सड़कों से जुड़ गई हैं।