Fri. Dec 27th, 2024
    नीतीश कुमार और शरद यादव

    बिहार की राजनीति में आया भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। नीतीश कुमार के महागठबंधन का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थामने के बाद से उनकी ही पार्टी में बगावती सुर उठने लगे हैं। आज सुबह जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे उससे कुछ देर पहले ही जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता शरद यादव ने उनके इस कदम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का यह कदम ‘गलत’ है और इससे बिहार कि जनता में गलत सन्देश जाएगा। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने फ़ोन कर शरद यादव से बात की और उन्हें मनाने की कोशिश की। पर शरद यादव पर इस बातचीत का खास असर नहीं हुआ और उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाक़ात की। इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

    शरद यादव

     

    दिल्ली में हुई इस मुलाक़ात के बाद नीतीश कुमार की चिंता बढ़ गई है। इस मुलाक़ात को बिहार में बन रहे नए सियासी समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है और मुमकिन है यह कल नीतीश कुमार के बहुमत सिद्ध करने में रुकावट पैदा करे। शरद यादव के अलावा पार्टी के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने भी नीतीश के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनकर भाजपा का दामन थामा है पर उनकी अंतरात्मा भाजपा का साथ देने की गवाही नहीं देती। भाजपा की तरफ से भी शरद यादव को मनाने की कोशिशें जारी हैं और पार्टी उन्हें केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में महत्वपूर्ण पद देने को तैयार है।

    जेडीयू में हाशिये पर हैं शरद यादव

    शरद यादव बिहार में जेडीयू का यादव चेहरा हैं और बिहार में इसके मायने महत्वपूर्ण हैं। बिहार की राजनीति शुरू से जाति आधारित रही है और विकास यहाँ कभी प्राथमिक मुद्दा नहीं रहा। जेडीयू में यादव बिरादरी के 11 विधायक हैं। बिहार राज्य में यादव वोटों का बड़ा आधार है और जेडीयू इसे गंवाना नहीं चाहेगी। नीतीश कुमार के जेडीयू अध्यक्ष बनने के बाद शरद यादव की पार्टी और बिहार की राजनीति में भूमिका सीमित हो गई है। ऐसे में उनके बगावत कर लालू से हाथ मिलाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

    शरद यादव

     

    नीतीश के विरोध में खड़े अली अनवर जेडीयू का मुस्लिम चेहरा हैं और राज्यसभा सांसद हैं। फिलहाल जेडीयू में 5 मुस्लिम विधायक हैं और उनके अली अनवर के साथ आने की पूरी संभावना हैं। शरद यादव और अली अनवर के बगावत की स्थिति में जेडीयू के कुल विधायकों की संख्या 71 से घटकर 55 रह जायेगी और भाजपा विधायकों को मिलाकर भी पार्टी बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुँच पाएगी।

    शरद को मनाने में जुटी भाजपा

    भाजपा शरद यादव को मनाने में जुट गई है। शरद यादव इससे पहले अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं और भाजपा से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। वेंकैया नायडू की उपराष्ट्रपति उम्मीदवारी तय होने के बाद मन्त्रिमण्डल में जगह खाली पड़ी है और अरुण जेटली रक्षा मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभल रहे हैं। ऐसे में भाजपा शरद यादव को कोई महत्वपूर्ण पद देकर मना सकती है और बिहार में नीतीश सरकार को स्थिरता दे सकती है।

    शरद यादव

     

    शरद यादव ने नाराज जेडीयू नेताओं की आज शाम अपने आवास पर बैठक बुलाई है। इस बैठक के बाद बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने की सम्भावना जताई जा रही है। भाजपा और नीतीश की शरद को मनाने की कोशिशें कितना रंग लाती है ये तो बैठक के बाद ही पता चलेगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।