कुछ समय पहले सरकार ने नयी ई-कॉमर्स नीति पेश करने की योजना के बारे में विचार किया था, जिसके अंतर्गत फ्लिप्कार्ट एवं अमेज़न जैसी कंपनियां भारी डिस्काउंट नहीं दे पाएंगी। हाल ही में खबर मीली है की फ्लिप्कार्ट एवं अमेज़न इसका संघर्ष करने के लिए साथ मिल रही हैं।
जल्द ही सरकार से करेंगे बातचीत :
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) जैसे उद्योग निकायों की मदद लेते हुए, एवं ई-कॉमर्स फर्म जैसे सॉफ्टबैंक, टाइगर ग्लोबल, सिकोइया, और नैस्पर्स जैसे निवेश दिग्गज भी योजना बना रहे हैं। जल्द ही ये सब मिलकर सरकार से इन नियमों के बारे में चर्चा करेंगे।
क्या हैं नए नियम :
नए नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा स्थानीय व्यापारियों एवं अपने स्वामित्व वाली कंपनियों के उत्पाद बिना किसी पक्षपात के बेचे जायेंगे। नए नियम छोटे व्यापारियों और उन किसानों के लाभ के लिए है जो डरते हैं कि अमेरिकी कंपनियां भारत के खुदरा बाजार में प्रवेश द्वार बना रही हैं और भारतीय खुदरा बिक्री पर हावी होने वाली छोटी दुकानों को निचोड़ सकती हैं।
क्यों हैं नियमों से उद्योगपति एवं विशेषज्ञ आहत ?
सूत्रों के अनुसार सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त दिशानिर्देश – जो बिक्री को फ्लैश करने और ऑनलाइन मार्केटप्लेस को विक्रेता कंपनियों के माध्यम से बेचने के लिए रोकते हैं ऐसा सरकार चुनावों में व्यापारियों का साथ जुटाने के लिए कर रही है। उद्योगपतियों एवं विशेषज्ञों का मानना है की व्यापारियों को खुश करने के लिए उठाए जा रहे लोकलुभावन उपायों का लंबे समय से लंबित ई-कॉमर्स नीति पर सीधा असर पड़ेगा।
ग्राहकों पर भी पड़ेगा असर :
विशेषज्ञों के अनुसार ई-कॉमर्स फर्मों, विशेष रूप से अमेज़ॅन इंडिया और फ्लिपकार्ट को अनावश्यक रूप से लक्षित किया जा रहा है क्योंकि ऑफ़लाइन खुदरा विक्रेताओं के पास लंबे समय से निजी लेबल रहे हैं। लेकिन अमेज़न एवं फ्लिप्कार्ट आने से ग्राहकों के पास ज्यादा विकल्प हुए हैं। तो इसका असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा।
रोजगार के अवसर होंगे कम :
कंपनियों का मानना है कि अगर उन्हें अपने व्यापार की मात्रा को बंद करना या कम करना पड़ता है, तो यह उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों की संख्या को प्रभावित करेगा और देश को अपनी विस्तार योजनाओं पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। आपको बतादें ई-कॉमर्स कंपनियां फ्लिपकार्ट एवं अमेज़न ने भारत में लाखों लोगों को रोजगार दिया है और यदि ऐसे में इन्हे व्यापार कम करना पड़ा तो लोगों की नौकरियां खतरे में आ सकती हैं।
व्यापारी एवं ई-कॉमर्स दोनों को देना होगा समान हक :
सॉफ्टबैंक ग्रुप ने तब नीति आयोग, कॉमर्स मिनिस्ट्री और फाइनेंस मिनिस्ट्री के अधिकारियों को पत्र लिखकर ई-कॉमर्स पॉलिसी को फाइनल करने से पहले निवेशकों और अन्य हितधारकों के हितों को ध्यान में रखने को कहा है।
इसके साथ ही कई व्यापार संगठन जैसे कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और स्वदेशी जागरण मंच सरकार पर लगातार दबाव डालते रहे हैं कि वे ऐसी ई-कॉमर्स पॉलिसी लाएं जो व्यापारियों के हितों को भी ध्यान में रखे।
अतः सरकार यदि केवल ई-कॉमर्स को ध्यान में रखकर नियम बनाती है तो उसे लोगों के बेरोजगार होने एवं उद्योगपतियों द्वारा संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है, और यदि सरकार ई-कॉमर्स को ध्यान में रखकर नियम बनाती है तो उसे खुदरा विक्रेताओं का समर्थन नहीं मिलेगा।
अतः अब सरकार को ऐसे नियम बनाने होंगे जिससे दोनों पक्ष राजी हों।