प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “भारत अगले महीने फ्रांस से पहला रफाल हवाई विमान को लेगा। हम यह बताते हुए बेहद खुश है कि 36 रफाल एयरक्राफ्ट में से पहला भारत को अगले महीने दिया जायेगा।” उन्होंने यह बात प्रधानमन्त्री इम्मानुएल मैक्रॉन के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कही थी।
भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस सरकार और दसॉ के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर 58 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया था। भारत में इन विमानों को अगले साल मई से दिया जाना शुरू किया जायेगा।
भारत को मिलने वाले पहले राफेल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ खुद फ्रांस स्थित मैन्युफेक्चरिंग प्लांट बोर्डो लेने जाएंगे।
मैक्रॉन ने कहा कि “यह फ्रांस के लिए बड़ी चीज है कि भारत को पहला एयरक्राफ्ट अगले महीने दिया जा रहा है। भारत के कुछ लड़ाकू पायलट्स को राफेल की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। वायुसेना के 24 पायलटों को अलग-अलग बैच में अगले साल मई तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। वायुसेना राफेल की स्क्वाड्रन को हरियाणा के अम्बाला और बंगाल के हाशीमारा एयरबेस पर तैनाती करेगा।
भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी में रक्षा इंडस्ट्रियल सहयोग महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। दोनों पक्षों ने किये गए समझौते को अमल में लाने की प्रगति पर संतुष्टि जाहिर की है। साथ ही दोनों देशों ने रक्षा में सहयोग को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दिखाई है।
उन्होंने दोनों देशो के बीच एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग में सहयोग को बढाने का स्वागत किया था। भारत और फ्रांस के बीच समझौते पर कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय और भारत सरकार, राष्ट्रीय शिस्खा और युवा मंत्रालय, कौशल विकास सहयोग में फ्रांस की सरकार के बीच हुआ था।
साथ ही नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोलर एनर्जी, न्यू एंड रिन्यूएबल मिनिस्ट्री, भारत सरकार और फ्रांस की उर्जा और परमाणु उर्जा समिति ने भी समझौते पर दस्तखत किये हैं।
25-26 अगस्त को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के आमंत्रण पर जी-7 के सम्मेलन में शामिल होंगे और वह जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, समुन्द्र और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के स्तर में शामिल होंगे।