फ्रांस का एक जहाज ताइवान के जलमार्ग से इस माह गुजरा था। इसके बाबत चीन ने कहा कि “हमने फ्रांस से फ़्रांसिसी युद्धपोत के चीनी क्षेत्रीय जलमार्ग में प्रवेश करने की शिकायत की है।” चीनी उप प्रधानमंत्री हु चुनहुआ ने दक्षिणी चीनी सागर पर ब्रिटेन पर गतिविधियों का आरोप लगाया था।
फ्रांस का युद्धपोत
7 अप्रैल को ताइवान के जलमार्ग पर दुर्लभ सैन्य विवाद की वारदात हुई थी जो इससे पूर्व संयुक्त खोज और राहत अभ्यास कर रहे थे। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओकीअंग ने कहा कि “नौसेना ने पहचान के लिए जहाजों को भेज दिया है। चीन की सम्प्रभुता और सुरक्षा के लिए हम बेहद सचेत हैं। हमने फ्रांसीसी जहाज को चेताया और खदेड़ दिया था।”
160 किलोमीटर का जलमार्ग चीन और ताइवान को विभाजित करता है। ताइवान को बीजिंग अपना भूभाग होने का दावा करता है। विवादित दक्षिणी चीनी सागर को अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग के तौर पर माना जाता है जिसमे सभी राष्ट्रों के जहाजों का जाम लगा रहता है लेकिन इसमे से अधिकतर चीनी बंदरगाहों के लिए बाधित है।
ब्रिटेन का नौचालन
दक्षिणी चीनी सागर में विदेशी युद्धपोतों के नौचालन को लेकर चीन बेहद संवेदनशील है। यहां सात मानव निर्मित द्वीपों पर चीन ने सैन्य ठिकानों का निर्माण किया है। अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया ने इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। चीनी द्वीपों के नजदीक अमेरिका अपने स्वतंत्र नौचालन अभियान को बढ़ा रह है, जो बीजिंग की बर्दाश्त से बाहर है।
दक्षिणी चीनी सागर में चीनी द्वीप के नजदीक ब्रितानी युद्धपोत एचएमएस अल्बिअन के आने की चीन ने निंदा की थी। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीते वर्ष अगस्त से दोनों देशों के बीच संबंधों में उत्तर चढ़ाव रहा है और दक्षिणी चीनी सागर के विवाद के कारण कई सहयोग परियोजना रुक गयी है।”
उन्होंने कहा कि “दक्षिणी चीनी सागर मसला चीन की सम्प्रभुता और मूल हितो की चिंता है और यह चीन और ब्रिटेन के बीच संबंधों के लिए बेहद जरुरी और संवेदनशील है।”