भारत के विभिन्न शहरों में फूड डिलीवरी बिजनेस तेजी के साथ बढ़ता दिखाई दे रहा है। तेजी से उभर रहे इस फूड डिलीवरी बिजनेस को देखते हुए देश की कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे पेटीएम, फ्लिपकार्ट तथा अमेजन आदि भी इस क्षेत्र में अपने हाथ आजमाना चाहती हैं। इसके लिए उपरोक्त ई-कामर्स कंपनियों ने स्वीगी,जोमैटो तथा फ्रैशमेन्यू के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
ई-कॉमर्स कंपनियों फ्लिपकार्ट, पेटीएम और अमेजन के निवेशक लोकल तथा पूरे देश में आॅनलाइन कॉमर्स इकोसिस्टम बनाने के लिए फूड डिलीवरी बिजनेस में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। इन कंपनियों का मानना है कि इस बिजनेस की सहायता से उन्हें लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चैन मैनेजमेंट को मजबूत करने में अच्छी खासी मदद मिलेगी। दरअसल फूड बिजनेस एक ऐसा बिजनेस है जो कस्टमर्स और ब्रैंड के बीच बने बेहतरीन संबंधों को परिभाषित करने की कोशिश करता है।
ई-कामर्स कंपनी अमेजन हाइपर और लोकल डिलीवरी के लिए बिग बास्केट,अलीबाबा तथा पेटीएम से बातचीत कर रही है, वही पेटीएम कंपनी फूड डिलीवरी के लिए नियरबाय और लिटल आॅनलाइन कूपन वेबसाइट को खरीदने की कोशिश में लगी हुई है।
फूड डिलीवरी बिजनेस का भविष्य
अगर फूड डिलीवरी बिजनेस की बात की जाए तो पिछले साल की तुलना में इस साल प्रति माह के हिसाब से 12-13 मिलियन ज्यादा आॅर्डस मिले हैं। जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि 2020 तक फूड डिलीवरी बिजनेस की घरेलू मार्केट वैल्यू करीब 119 अरब डालर तक पहुंच जाएगी।
ऐसे में अमेजन, फ्लिपकार्ट और पेटीएम जैसी ई कार्मस कंपनियों ने इस बिजनेस में अपना निवेश करना शुरू कर दिया है। फूड डिलीवरी बिजनेस के लिए अमेजन ने अमेज़न पैंट्री (Amazon Pantry) लॉन्च की है। अमेजन के कस्टमर्स इस एप के जरिए ग्रॉसरी और बाकी के सभी सामान आॅर्डर कर सकते हैं।
फ्लिपकार्ट ने भी अपनी ग्रॉसरी डिलीवरी सर्विस के लिए पायलट प्रोजक्ट लांच किया है, जिसके अनुसार यदि कोई भी कस्टमर एक हजार रूपए से ज्यादा का सामान आॅर्डर करता है तो उसे डिलीवरी पर कोई चार्ज नहीं देना होगा। हां इतना जरूर है कि फ्लिपकार्ट ने यह नियम बना रखा कि कम से कम 500 रूपए तक के सामान की ही डिलीवरी की जाएगी।