Wed. May 8th, 2024
plenty wrong with narendra modi biopic

बीते समय में हमें राजनीतिक व्यक्तित्वों के जीवन पर आधारित कई फ़िल्में देखने के लिए मिली हैं। ऐसी फ़िल्में भारतीय सिनेमा में पहले से ही बनती चली आ रही हैं जिनमें से कुछ बैन कर दी गई तो कुछ बड़े विवादों का कारण बनी हैं।

हाल ही में रिलीज़ हुई ‘एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर’ इनमें से एक थी और यह फिल्म भी लम्बे समय तक विवादों में घिरी रही थी। ऐसी फ़िल्में दो तरह की हो सकती हैं एक तो जो उस घटना को सही तरीके से प्रस्तुत करती हैं और दूसरी जो मुख्य किरदार को हीरो और बाकियों को विलेन या फिर हास्यप्रद किरदार बताती हैं।

इसी तरह की कई बड़े विवादों से घिरी हुई एक और फिल्म रिलीज़ होने वाली है जो नरेंद्र मोदी की बायोपिक बताई जा रही है। विवेक ओबेराय द्वारा अभिनीत फिल्म ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ 5 अप्रैल को रिलीज़ होने वाली थी लेकिन विवादों के चलते इसकी रिलीज़ डेट को आगे बढ़ा दिया गया है जिससे निर्माताओं का नुक्सान तो हो ही रहा है लेकिन एक तरह से फिल्म को फायदा भी पहुंच रहा है।

जब किसी फिल्म को राजनीतिक मुद्दा बना लिया जाता है और हर रोज़ उसपर बहस होने लगती है तो यह लोगों के मन में फिल्म को लेकर जिज्ञासा जगाती है और फिल्म के बारे में घर-घर में लोग बाते करने लगते हैं। इस कारण से मुफ्त में ही फिल्म की मार्केटिंग हो जाती है। बिल्कुल ऐसा ही दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘पद्मावत’ के साथ हुआ था।

मोदी बायोपिक की रिलीज़ 11 अप्रैल तक के लिए खिसका दी गई है। फिल्म ने चुनाव आयोग से लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड तक हंगामा खड़ा कर रखा है। तो आइये बात करते हैं कि इस फिल्म के साथ क्या चीज़ें गलत हैं और यह इतने विवादों को जन्म क्यों दे रही है?

फिल्म रिलीज़ का समय- 

narendra modi biopic controversy
स्रोत: ट्विटर

यदि कोई भी फिल्म निर्माता यह कह दे कि उसने अपनी फिल्म रिलीज़ की तारीख जान-बूझकर नहीं निश्चित की है तो यह बात मानी ही नहीं जा सकती। फिल्म निर्माता जान-बूझकर अपनी फ़िल्में छुट्टियों में फिर या ऐसे समय पर रिलीज़ करते हैं जिससे उनकी फिल्म को देखने ज्यादा से ज्यादा लोग आ सकें और यही बात ‘पीएम मोदी’ पर भी लागू होती है।

चुनाव के समय रिलीज़ करने की इनकी स्ट्रेटेजी पहले की ही है और उन्होंने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया यह बात बेतुकी लगती है क्योंकि बहुत कम ही ऐसा होता है कि किसी राजनेता के कार्यकाल के दौरान ही उनकी बायोपिक भी रिलीज़ कर दी जाए।

सुपरहीरो के रूप में नरेंद्र मोदी- 

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स्रोत: ट्विटर

फिल्म का ट्रेलर देखकर एक बात तो साफ़ पता चल जाती है कि फिल्म यह बताना चाहती है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर कितने सम्पूर्ण हैं।

फिल्म नरेंद्र मोदी को एक सच्चे देशभक्त सुपरहीरो के रूप में दिखाने वाली है। एक ऐसा बच्चा जो बचपन से ही देशभक्त था और उसने अपनी ज़िन्दगी में कितनी कठिनाइयों का सामना किया है। फिल्म के ट्रेलर में कुछ ऐसी चीज़ें दिखाई गई हैं जो मोदी ने सच में किया है पर उन चीज़ों में और भी ज्यादा तड़का लगाने के लिए यह भी दिखाया गया है कि गुजरात दंगों के बीच में राजनेता सड़क पर निकल कर लोगों की मदद कर रहे हैं।

शहीद हुए सिपाहियों की डेड बॉडी उठाने में मदद कर रहे हैं जो बिल्कुल ही काल्पनिक है और ऐसा कोई भी नेता नहीं करता है।

क्रिएटर के तौर पर आपको कुछ चीज़ें क्रिएट करने की स्वतंत्रता तो है लेकिन जब बात ऐसे व्यक्तित्व के बारे में आती है जो पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है तो काल्पनिक चीज़ें दिखाना देश का नुक्सान करा सकती हैं।

बहुत से लोग ऐसे हैं जो नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते और जिसके लिए उनके पास कुछ ठोस कारण भी हैं लेकिन निर्माताओं ने फिल्म में इसे दिखाने की ज़हमत नहीं उठाई है।

काउंटर कल्चर फिल्मों से दोहरा व्यवहार- controversy on countercultur movie

यदि हमारी सरकार नरेंद्र मोदी की बायोपिक रिलीज़ होने देती है तो वर्तमान सरकार के खिलाफ बनी फिल्मों पर भी रोक नहीं लगानी चाहिए। तमिल फिल्म ‘मर्शल’ के कुछ दृश्यों को बैन करने की मांग की गई थी क्योंकि रूलिंग पार्टी को लग रहा था कि फिल्म एंटी मोदी है।

फिल्म के एक किरदार ने कहा था कि यदि सिंगापूर की सरकार 7 प्रतिशत GST के साथ मुफ़्त में स्वास्थ्य सुविधा दे सकती है तो भारत की सरकार 28 प्रतिशत के साथ ऐसा क्यों नहीं कर सकती?

यदि पीएम मोदी बायोपिक जैसी फिल्म को रिलीज़ डेट मिल सकती है तो इसके विपरीत बनी हुई फिल्मों को भी बिना किसी परेशानी के रिलीज़ करना चाहिए। क्योंकि ऐसे नियम सभी फिल्मों पर लागू होने चाहिए।

किसी भी फिल्म को देखना और उसको लेकर अपने दृष्टिकोण बनाना दर्शकों की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए। अपने राजनैतिक मतों को एक तरफ रखकर हमें हर तरह की फ़िल्में रिलीज़ होने देनी चाहिए और तार्किक रूप से उनकी समीक्षा करनी चाहिए। कोई भी फिल्म दर्शकों के लिए ही बनाई जाती है और इसे देखना है या नहीं यह भी उन्ही पर निर्भर करना चाहिए।

https://youtu.be/X6sjQG6lp8s

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By साक्षी सिंह

Writer, Theatre Artist and Bellydancer

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