Wed. Nov 6th, 2024
    पद्मावती रिलीज सुप्रीम कोर्ट

    आग तो आग होती है और विरोध की आग वक्त रहते ना बुझाई जाए तो वह विरोध से विद्रोह में तब्दील हो जाती है। समय रहते ही समस्या का निवारण हो जाना चाहिए क्योंकि वक्त के साथ अगर जख्म का इलाज ना हो तो वो जख्म नासूर बन जाता है।

    छोटे से विरोध से शुरू हुआ फिल्म पद्मावती का विवाद देश के कोने कोने से बढ़ता हुआ अब अंतराष्ट्रीय हो गया है। अब देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी फिल्म के विरोध में विरोध की लपटे उतनी लगी है और यह बात भंसाली जी को समझनी चाहिए कि वक्त रहते लपटों को रोका नहीं गया तो छोटी सी चिंगारी भी जवाला का रूप लेकर उनके अरमानों को पानी पानी कर सकती है।

    ब्रिटेन समेत दुनिया भर के देशों में भी अब फिल्म के खिलाफ राजपूत समाज के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है जिसका असर अब देखने को भी मिला है। ब्रिटेन में तो फिल्म को एक दिसंबर को दिखाए जाने के फैसले पर पुनर्विचार भी किया जा रहा है। वहां इस फिल्म के खिलाफ ब्रिटेन के राजपूत समाजों ने भारी विरोध करना शुरू कर दिया है।

    इस फिल्म को सिनेमा घरों में दिखाए जाने के बीबीएफसी के निर्णय के खिलाफ जहां एक तरफ जोरदार विरोध हो रहे है तो वहीं दूसरी तरफ लोग इस फिल्म को सिनेमाघरों से प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे है। फिल्म का विरोध मिस्र में भी होने लगा है वहां इस फिल्म पर लोगो की भावनाए भड़काने और तथ्यों को तोड़मरोड़कर पेश करने के आरोप लग रहे है।