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    फिलिस्तीन का नए प्रधानमंत्री

    फिलिस्तीन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने अमेरिका पर अपनी आवाम के सामने वित्तीय जंग के ऐलान करने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिकी शान्ति योजना का तात्पर्य मृत जन्म लेना है। सत्ता पर काबिज होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय को दिए अपने पहले इंटरव्यू में पीएम मोहम्मद श्टाइयेह ने विरासत में मिले वित्तीय संकट से देश को उभारने की योजन जाहिर की और डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना को ख़ारिज करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फिलिस्तीन का समर्थन करने का आग्रह किया है।

    मंगलवार को इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि “ट्रम्प के लिए फिलिस्तीन में कोई साझेदार नहीं है। ट्रम्प के लिए न तो कोई अरब साझेदार है और न ही कोई यूरोपीय साझेदार।”ब्रिटेन से शिक्षित अर्थशास्त्री श्टाइयेह ने फिलिस्तीन की बागडोर बेहद नाजुक क्षणों में थामी है क्योंकि देश इस वक्त बुरे वित्तीय दौर से गुजर रहा है।

    ट्रम्प प्रशासन ने लाखो डॉलर की सहायता को कम कर दिया है इसमें फिलिस्तीन के शरणार्थियों के लिए यूएन को दी जाने वाली सहायता राशि भी शामिल है। इजराइल ने भी फिलिस्तीन द्वारा शहीदों के लिए फंड ट्रांसफर कार्यक्रम के कारण लाखो डॉलर के शुल्क को रोक दिया है। इजराइल के साथ जंग में फिलिस्तीन के मृत या जेल में बंद कैदियों को इस कार्यक्रम के तहत मदद मुहैया की जाती है।

    इजराइल के मुताबिक इस फंड का पुरूस्कार हिंसा है जबकि फिलिस्तीन के मुताबिक यह राशि दशकों से हिंसा से प्रभावित परिवारों को मुहैया करने एक राष्ट्रीय कर्तव्य है। फिलिस्तीन ने आंशिक शुल्क के ट्रांसफर को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।

    रेवेनुए का कोई स्त्रोत न होने के कारण फिलिस्तानी विभाग ने हज़ारो सिविल सर्वेंट को आधी तनख्वाह देने की शुरुआत की है, साथ ही सुविधाओं को घटाकर उधार को बढ़ा दिया है। विश्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन का वित्तीय घाटा बीते वर्ष 4 करोड़ से बढ़कर एक अरब डॉलर हो जायेगा।

    फिलिस्तीन के पीएम ने कहा कि “इजराइल भी वित्तीय जंग का भाग है जो अमेरिका ने हम पर मढ़ी है। पूरा सिस्टम मिलकर हमें समर्पण और अस्वीकृत शांति प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए मज़बूर कर रहा है। यह वित्तीय ब्लैकमेल है, जिसे हम खारिज करते हैं।”

    उन्होंने कहा कि वह फिलिस्तीन के कृषि, आर्थिक और शिक्षा के क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं और अपनी अर्थव्यवस्था की इजराइल पर निर्भरता को खत्म करने के इच्छुक है। मसलन, वह इजराइल की बजाये पडोसी देश जॉर्डन से तेल का आयात करना चाहते हैं। इसके लिए फिलिस्तीन को अरब और यूरोपीय देशों की वित्तीय सहायता की जरुरत है।

    अमेरिका और इजराइल से विवाद के बावजूद पीएम ने कहा कि “फिलिस्तीन सदैव एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमे इजराइल द्वारा कब्ज़ा किये गए इलाके भी शामिल हैं।” येरुशलम पर इजराइल और फिलिस्तीन दोनों ही दावा करते हैं जिसे इजराइल ने साल 1967 की जंग में हथिया लिया था।

    अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के कारण दबीते दो दशकों से द्वी राज्य नीति को माना जा रहा है लेकिन इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फिलिस्तीन के दावे को खारिज करते हैं। बीते हफ्ते चुनावों में बेंजामिन नेतन्याहू को पांचवी दफा प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली है। उन्होंने पानी जनता से वेस्ट बैंक की बस्तियों को इजराइल में मिलाने का वादा किया था। अमेरिकी सत्ता पर डोनाल्ड ट्रम्प के काबिज होने के बाद नेतन्याहू को काफी काफी कूटनीतिक उपहार दिए गए हैं।

    इजराइल की तरह मौजूदा अमेरिकी प्रशासन भी द्वी राज्य नीति का खंडन करता है। राष्ट्रपति के दामाद जार्ड कुशनर शान्ति योजना बनाने की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि “फिलिस्तीन की मांगो को नज़रअंदाज़ करने वाले प्रस्ताव को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय खारिज कर देगा।

    उन्होंने कहा कि “फिलिस्तीन राज्य के लिए हम किस दिशा की तरफ जा रहे हैं। हम सत्ता की तरफ नहीं देख रहे हैं। हम संप्रभु राष्ट्र चाहते हैं। फिलिस्तानी आर्थिक शान्ति में रूचि नहीं रखते हैं, हम आधिपत्य को समाप्त करने की इच्छा रखते हैं।आधिपत्य के नियंत्रण में जीवन यापन नहीं किया जा सकता है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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