बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद से मचा सियासी भूचाल अबतक शांत नहीं हुआ है। उम्मीद की जा रही थी कि नीतीश कुमार के भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद बिहार की राजनीति में स्थिरता आ जाएगी पर हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। हालांकि इन सबसे सरकार पर तो कोई असर नहीं हुआ है लेकिन सभी प्रमुख दलों की अंतर्कलह सतह पर आ गई है। वरिष्ठ पार्टी नेता शरद यादव के बागी तेवरों से नाराज चल रहे जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का बागियों के पर कतरने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। हालिया घटनाक्रम में जेडीयू ने बिहार के 21 बागी नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। इन नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। बर्खास्त नेताओं में पूर्व सांसद अर्जुन राय, पूर्व मंत्री रमई राम समेत 21 नेता शामिल हैं जिनका शरद यादव गुट से सम्बन्ध था। इन दोनों नेताओं ने शरद यादव की 3 दिवसीय यात्रा के दौरान उनका समर्थन किया था और खुलकर नीतीश कुमार के सामने आये थे।
इससे पहले भी शरद यादव और उनके करीबियों पर नीतीश कुमार की गाज गिर चुकी है। गुजरात में हुए राज्यसभा चुनावों में पार्टी के एकमात्र विधायक छोटुभाई वासवा ने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट दिया था। बाद में यही वोट अहमद पटेल की जीत का आधार बना। जेडीयू ने पार्टी महासचिव अरुण श्रीवास्तव को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि वह पार्टी विधायक को बलवंत सिंह राजपूत के पक्ष में वोट करने के पार्टी के निर्णय से अवगत करायें। चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद अगले दिन ही अरुण श्रीवास्तव को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के आरोप में पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था। वैसे भी श्रीवास्तव शरद यादव गुट के नेता माने जाते हैं। ऐसे में उनकी बर्खास्तगी को शरद यादव के साथ से जोड़कर देखा गया।
शनिवार को पार्टी आलाकमान ने राज्यसभा सांसद और शरद यादव गुट के एक अन्य नेता अली अनवर पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर बर्खास्त कर दिया था। बता दें कि अली अनवर ने नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाने पर कहा था कि उनकी अन्तरात्मा उन्हें भाजपा के साथ जाने की गवाही नहीं देती है। उन्होंने बागी तेवर अपनाने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव से मुलाक़ात भी की थी। बीते शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के बुलावे पर अली अनवर विपक्ष के 16 दलों की सम्मिलित बैठक में शामिल हुए थे। उनके इस कदम से नाराज जेडीयू आलाकमान ने उन्हें पार्टी और संसदीय दल से बर्खास्त कर दिया था। वरिष्ठ पार्टी नेता केसी त्यागी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी पर जेडीयू को तोड़ने का आरोप लगाया था।
अली अनवर की बर्खास्तगी के बाद शनिवार को जेडीयू नेताओं के प्रतिनिधिमण्डल ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाक़ात की और उन्हें पत्र के माध्यम से शरद यादव को राज्यसभा में पार्टी नेता के पद से हटाए जाने के पार्टी के निर्णय के बाबत जानकारी दी। उनकी जगह नीतीश कुमार के विश्वसनीय आरसीपी सिंह को राज्यसभा में पार्टी नेता नियुक्त किया गया। आज सुबह जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने शरद यादव को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि शरद यादव में अगर थोड़ी सी भी शर्म बची है तो वह स्वयं ही अपनी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दें। अपनी 3 दिवसीय बिहार यात्रा के दौरान शरद यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड जनता के लिए है और जनता की है। नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को उन्होंने जनता दल यूनाइटेड सरकारी करार दिया था और कहा था कि यह सत्तालोभी और स्वार्थी लोगों का दल है।
जेडीयू से निष्कासित पूर्व पार्टी महासचिव और शरद यादव के वरिष्ठ सहयोगी अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि शरद यादव गुट को 2 सांसदों और देश की 14 राज्य इकाईयों का समर्थन प्राप्त है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शरद यादव के साथ हैं। ऐसे में जनता दल यूनाइटेड और उसका चुनाव चिन्ह शरद यादव की अगुवाई वाले दल के पास ही रहना है। शरद यादव ने अपने आवास पर 17 अगस्त को समान विचार वाले नेताओं की बैठक बुलाई है। इसमें सभी प्रमुख विपक्षी दलों के अलावा दलित और अल्पसंख्यक नेताओं के भी शामिल होने की सम्भावना है। इस बैठक के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि शरद यादव का अगला कदम क्या होगा और देश की राजनीति किस दिशा में अग्रसर होगी।