आज पटना में मुख्यमंत्री आवास पर हुई जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जेडीयू ने फिर से ‘घर वापसी’ कर ली है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू एनडीए में वापस लौट आयी है। नीतीश कुमार पहले भी 13 सालों तक एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं। उनके घर लौटने की गूँज देश के राजनीतिक गलियारों में बड़ी जोर से सुनाई पड़ रही है। अब तक राजनीति के कुरुक्षेत्र में नीतीश कुमार के सारथी रहे शरद यादव अपनी अलग राह पर निकल पड़े हैं। आज पटना में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने की बजाय उन्होंने अपने ‘जन अदालत सम्मलेन’ को तवज्जो दी।
पूरे देश का मिजाज इस समय काव्यमय हो गया है। भाजपा नेता कह रहे हैं कि ‘सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते।’ कुछ बुजुर्गों का तो ये भी कहना है कि 13 साल तक एनडीए में रहने के बाद नीतीश कुमार वही भूल कर बैठे थे जो अक्सर 13 साल की उम्र के किशोर बालक कर बैठते हैं। अब लगता है ‘एनडीए’ से उनका ‘डीएनए’ मैच हो गया है और उन्हें अपने ‘जैविक निवास’ का पता मिल गया है। शायद इसलिए 4 वर्षों बाद ‘संवैधानिक’ तौर पर ‘वयस्क’ होने से पहले घर आकर उन्होंने ‘पश्चाताप’ कर लिया है और अब उनकी गलती माफ़ हो गई है।
सुशील मोदी को आजकल पटना की सड़कों पर नीतीश कुमार के साथ घूमते हुए देखा जा रहा है। एक ही मोपेड पर सवार दोनों यार मस्ती में झूमते हुए गाये जा रहे हैं – “ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।” सामने से शरद यादव अली अनवर का हाथ थामे गुजरते हैं और उनके लब यही गा रहे हैं – “दुश्मन न करे दोस्त ने वो काम किया है, उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है।” तभी पीछे से उन्हें किसी के ‘हाथ’ का सहारा मिलता है। अरे यह क्या! हाथ के साथ में ‘लालटेन’ भी है। पृष्ठभूमि का संगीत बदलता है और सोनू निगम की सुरमयी आवाज गूंजती है – “अभी मुझ में कहीं बाकी थोड़ी सी है ज़िन्दगी।”
शाम ढल रही है। दूर आकाश में सूरज अस्त हो रहा है ये उम्मीद देकर कि कल एक नया सवेरा होगा, कल एक नया सूरज निकलेगा, कल नया दिन होगा और कल दुनिया नई होगी। वो दुनिया जिसमें नई संभावनाएं होंगी और जो हारों को नई राह दिखाएगी ताकि उनमें फिर से जीतने का जज़्बा जग सके।