Sun. Nov 17th, 2024

    कोरोना से जूझ रेह भारत के लिए वैक्सीन के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर है। मॉडेर्ना का कोविड- 19 एक खुराक वाला टीका अगले साल भारत में उपलब्ध हो सकता है। इसके लिये वह सिप्ला और अन्य भारतीय दवा कंपनियों से बातचीत कर रही है। साथ ही, अमेरिका की ही फाइजर 2021 में ही पांच करोड़ टीके उपलब्ध कराने को तैयार है मगर वह क्षतिपूर्ति सहित कुछ नियामकीय शर्तों में बड़ी छूट चाहती है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

    बातचीत की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि मॉडेर्ना ने भारतीय प्राधिकरणों को यह बताया है कि उसके पास 2021 में अमेरिका से बाहर के लिए टीके का स्टॉक नहीं हैं। जॉनसन एण्ड जॉनसन भी निकट भविष्य में अमेरिका से अपने टीके को दूसरे देशों को भेज पायेगी इसकी भी बहुत सीमित संभावनायें हैं।

    सूत्रों के मुताबिक, फाइजर इंक इसी साल जुलाई-अगस्त में 1-1 करोड़ टीके, 2 करोड़ सितंबर में और बाकी एक करोड़ टीके अक्तूबर में भारत को देगी। कंपनी इन टीकों के लिए किसी भारतीय कंपनी या राज्य सरकार को नहीं बल्कि केवल भारत सरकार से ही सौदा करेगी। लेकिन कंपनी की तरफ से मांगी गई नियामकीय छूट आड़े आ रही है।

    हालांकि केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय समिति की बैठक में एक अधिकारी ने बताया है कि टीके से हानि पर मुआवजा नहीं देने की छूट के लिए फाइजर अब तक अमेरिका समेत 116 देशों के साथ समझौता कर चुकी है। विश्व स्तर पर फाइजर की अब तक 14.7 करोड़ खुराक उपयोग हो चुकी हैं और कहीं भी बुरे प्रभाव की सूचना नहीं है। सूत्रों का कहना है कि फाइजर की इस मांग पर फैसले के लिए नेगवैक (कोविड-19 टीका प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह) की बैठक बुलाई जा सकती है।

    बढ़ रही है चिंता, एक सप्ताह में दो बार उच्च स्तरीय बैठक

    सूत्रों का कहना है कि वैश्विक और घरेलू बाजार में टीकों की उपलब्धता को लेकर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह दो बार उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है, जिसमें कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव और मौजूदा समय में टीकों की सप्लाई व आवश्यकता के बीच बढ़ते अंतर को देखते हुए तत्काल टीका खरीद की आवश्यकता मानी गई है।

    हालांकि इन दोनों ही बैठक में कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। अभी तक देश में ‘मेड इन इंडिया’ कोरोना टीकों ‘कोविशील्ड’ व ‘कोवैक्सीन’ की बदौलत 20 करोड़ से ज्यादा खुराक आम जनता को दी जा चुकी है, जबकि रूस की स्पुतनिक-5 भी आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी पा चुकी है और उसका उत्पादन भी भारत में शुरू हो गया है। लेकिन देश की आबादी के बड़े आकार को देखते हुए इन तीनों ही टीकों का उत्पादन स्तर बेहद कम आंका जा रहा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *