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    सुरेश प्रभु

    रविवार, 3 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। यह पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार का तीसरा मन्त्रिमण्डल विस्तार था। मन्त्रिमण्डल के 4 मौजूदा मंत्रियों निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और मुख़्तार अब्बास नकवी को पदोन्नति देकर कैबिनेट में शामिल किया गया। वहीं सुरेश प्रभु, उमा भारती और विजय गोयल को पदावनत किया गया। मन्त्रिमण्डल की फेरबदल में कुल 32 मंत्रियों के पोर्टफोलियो बदले गए। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में 9 नए चेहरों को जगह दी गई थी और सभी नए चेहरे भाजपा के ही थे। पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु का मंत्रालय बदल कर उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। उन्होंने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है। उनसे पूर्व यह मंत्रालय निर्मला सीतारमण के पास था जिन्हें देश का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है।

    घटता निर्यात है प्रमुख चुनौती

    सुरेश प्रभु से पहले निर्मला सीतारमण वाणिज्य और उद्योग मंत्री थी। उन्हें पदोन्नत करके रक्षा मंत्री बनाया गया है। देश की पूर्णकालिक रक्षा मंत्री बनने वाली वो पहली महिला है। सुरेश प्रभु के पास पहले रेल मंत्रालय था जहाँ वो खासे सफल भी रहे थे। लेकिन हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं के बाद विपक्ष उनपर हमलावर हो गया था और उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था। मोदी सरकार के इस तीसरे मन्त्रिमण्डल विस्तार में उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कार्यभार मिला है। यह कार्यभार उन्हें ऐसे समय में मिला है जब देश की निर्यात वृद्धि दर लगातार घट रही है। जुलाई माह में निर्यात वृद्धि दर घटकर पिछले 8 महीनों के निम्नतम स्तर 3.94 फीसदी तक आ पहुँची थी। सोने का आयात लगातार बढ़ने से देश का व्यापार घाटा बढ़कर 11.44 अरब डॉलर तक पहुँच गया था।

    वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाला औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामलों की निगरानी रखता है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में देश में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई और यह अब 10.4 अरब डॉलर के स्तर तक पहुँच गया है।

    प्रभु ने ली थी रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी

    हाल के कुछ दिनों में देश में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं हुई थी। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इन घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था और उन्हें इंतजार करने को कहा था। सुरेश प्रभु मोदी कैबिनेट के सबसे लोकप्रिय मंत्रियों में से एक रहे हैं और रेलवे में सुधार के लिए उनके द्वारा चलाई गई योजनाएं लोगों ने काफी सराही भी हैं। ऐसे में मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि सुरेश प्रभु के इस्तीफे को रेल दुर्घटनाओं से जोड़कर देखा जाए। इसी वजह से कैबिनेट विस्तार के वक्त उनका मंत्रालय बदल दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुरेश प्रभु पर भरोसा अब भी कायम है और इसीलिए उन्होंने लगातार घाटे में चल रहे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को उबारने का कार्यभार प्रभु को सौंपा है।

    सुरेश प्रभु इस्तीफा
    प्रभु ने ली थी रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी

    76 हुई मोदी मन्त्रिमण्डल के कुल मंत्रियों की संख्या

    रविवार, 3 सितम्बर को हुए मन्त्रिमण्डल विस्तार में मोदी मन्त्रिमण्डल में 9 नए चेहरों को जगह दी गई। इन सभी नए चेहरों को राज्य मंत्री बनाकर मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है। अधिकतर नए चेहरों का चुनाव 2019 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है और इसमें सभी राज्यों की सहभागिता रखी गई है। इसके अतिरिक्त 4 मंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस मन्त्रिमण्डल विस्तार के बाद मोदी मन्त्रिमण्डल में मंत्रियों की कुल संख्या बढ़कर 76 हो गई है। इनमें 27 कैबिनेट मंत्री, 11 स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री और 37 राज्य मंत्री शामिल हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।