पॉप फ्रांसिस ने शनिवार को संयुक्त अरब अमीरात की सरजमीं पर कदम रखा था। यह इस्लाम की जन्म भूमि है।
बीबीसी के मुताबिक अबुधाबी में पॉप फ्रांसिस दो दिवसीय यात्रा पर है और इस दौरान वह मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात करेंगे और वह आयोजित धार्मिक सभा मे 120000 लोहा से बातचीत करेंगे। वह सोमवार को अंतरधार्मिक सम्मेलन में भाग लेंगे। वह मंगलवार को रोम वापस चले जाएंगे। स्थानीय मीडिया के अनुसार अबुधाबी के स्टेडियम में विशाल संख्या में लोग एकत्रित होंगे।
यूएई इस समय यमन में लंबे अंतराल से तैनात सैनिकों की वापसी और कतर से कूटनीतिक संबंध बना रहा है। यूएई में आने से पूर्व पॉप फ्रांसिस ने कहा कि “में यूएई के लिए रवाना हो रहा हूँ। मैं यमन में सभी पक्षों से आग्रह करने चाहता हूँ की कि भोजन सामग्री के बंटवारे को सुनिश्चित करने के लिए मौजूद शांति प्रस्ताव का सम्मान करें। इस लम्बे युद्ध से जनता परेशान है और बच्चे भूख की मार झेल रहे हैं। इन बिलखते हुए बच्चों और उनके मां-बाप की आवाज़ ईश्वर तक जाएगी।”
यूएई में तकरीबन 10 लाख कैथोलिक प्रवादी निवास करते हैं और इनमे से अधिकतर फिलीपीन्स और भारत से हैं। रविवार की सुबह को लोग स्टेडियम के पास के लिए बारिश में खड़े थे। 39 वर्षीय कॉलिन रायन ने कहा कि पॉप के आगमन से बर्दास्त करने वाली बातचीत के दरवाजे खुलेंगे जिसे पूरे विश्व को सुनने की जरूरत है। भारत के गोआ राज्य की डोरिस डिसौज़ा ने कहा कि वह इस मुलाकात को मिस नही करना चाहती थी। जैसे ही मुझे पॉप फ्रांसिस की अबुधाबी की यात्रा का मालूम हुआ, मैं इस मौके की गवाह बनना चाहती थी।
सऊदी अरब के मंत्री ने कहा कि “हम यूएई में पॉप फ्रांसिस का स्वागत करते हैं और यह एतिहासिक यात्रा सहिष्णुता, समझ और और पारस्परिक संवाद के मूल्य को गहरा करेगी। अलगाववादियों को समर्थन देने के आरोप में यूएई, सऊदी अरब, बहरीन और मिस्र ने जून 2017 में दोहा से नाता तोड़ दिया था।
यूएई को धार्मिक सहिष्णुता और संस्कृतिक विविधता पर खुद पर गर्व है। यूएई में आठ कैथोलिक चर्च है जबकि ओमान, कुवैत और यमन में चार है।
यमन में खूनी संघर्ष के लिए दक्षिणपंथी समुदाय ने यूएई की आलोचना की है, बीते चार सालों के युद्ध मे यमन में 10 हज़ार लोगो ने अपनी जान गंवाई हैं। उन्होंने कहा कि सहिष्णुता का नारा देने के अलावा यूएई की सरकार असल मे मानवाधिकार रिकॉर्ड को सुधारने में कोई दिलचस्पी नही रखती हैं।