केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एक ब्लॉग जरिए कहा, पिछले कुछ दिनों से यह अफवाह फैलाई जा रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पूंजीपतियों के कर्ज माफ करने जा रहे हैं। जेटली ने इस अफवाह को खारिज करते हुए कहा कि, सरकार बड़े एनपीए बकाएदारों के किसी भी ऋण को माफ नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि देश को इन तथ्यों से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराने का समय आ गया है। हम यह बात किसी से भी आसानी से पूछ सकते हैं कि साल 2008 से 2014 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए डिफॉल्टर्स को किस तरीके से खैरात में कर्ज बांटे।
वित्त मंत्री ने कहा कि, इस तरह की अफवाह उड़ाने वालों से यह पूछने की जरूरत है कि आखिर इन बड़े कर्जदारों को जनता के कहने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने लोन दिया या फिर ये बैंक जिनके अधीन थे, उनके कहने पर। उनसे यह भी पूछना चाहिए कि जब इन कर्जदारों ने बैंकों के ऋण और ब्याज चुकाने में देरी की तो 2008-2014 की तत्कालीन सरकार ने क्या निर्णय लिया?
जेटली ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इन बड़े कर्जदारों के खिलाफ कोई कठोर निर्णय लेने के बजाय इन्हें गैर-एनपीए खाताधारकों के रूप में रखने को कहा। उन्होंने कहा कि साल 2015 में जब इस परिसंपत्ति के गुणवत्ता की समीक्षा की गई तब जाकर सच्चाई खुलकर सामने आई। जेटली ने कहा कि लगभग 4,54,466 करोड़ रुपए के ऋण जो एनपीए के लिए बिल्कुल फिट थे, इन्हें गैर एनपीए के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसी एनपीए बकायदारों के ऋण को माफ नहीं किया है।
नए दिवालिया कोड में संंशोधन कर इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है, ताकि 12 बड़े डिफाल्टरों तथा भ्रष्ट कर्जदारों से समय पर रिकवरी की जा सके। इन 12 बड़े बकाएदारों की गैर निष्पादित संपत्ति का मूल्य 1.75 लाख करोड़ रुपए है। इन बड़े बकाएदारों से ऋण वसूली की प्रक्रिया कई चरणों में की जाएगी।
आप को बता दें कि आरबीआई जून महीने में ही ज्यादातर बैंकों को उन 12 कंपनियों की पहली सूची सौंप चुकी है, जिनके खिलाफ इनसॉल्वेंसी के तहत कार्रवाई करनी है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि बड़े स्तर पर कर्ज में कमी लाने तथा रोजगार सृजन में वृद्धि के उद्देश्य से राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के पूंजीकरण का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि दो वित्तीय वर्षों में 2.11 लाख करोड़ रूपए की पूंजी वृद्धि होगी।
जेटली ने कहा कि पूंजीगत निवेश के माध्यम से तथा बड़े कर्जों की वसूली से बैंक मजबूत हो जाएंगे, और बाजार से पर्याप्त पूंजी जुटाने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि पूंजी प्राप्त करने के लिए बैंकों को और कई सुधार करने होंगे, ताकि ऐसी परिस्थितियों की पुनरावृत्ति ना हो सके। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के एकीकरण के साथ ही मजबूत और बड़े बैंको के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।