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    नेट-न्यूट्रैलिटी-भारत

    भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज नेट न्यूट्रैलिटी यानी इंटरनेट इस्तेमाल पर भेदभाव पर अपना फैसला सुनाया है। अपने फैसले में ट्राई ने यह कहा है कि कोई भी टेलीकॉम कंपनी इंटरनेट के इस्तेमाल पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकती है।

    ट्राई ने अपने बयान में कहा, “किसी भी लाइसेंस वाली इंटरनेट सेवा कंपनी को बिना किसी भेदभाव के एक ही तरह का केंटट उपलब्ध करवाना चाहिए। नेट न्यूट्रैलिटी का यह सिद्धांत केवल सेंडर या रिसीवर, नेटवर्क प्रोटोकॉल या फिर यूजर्स इक्वीपमेंट्स के संबंध में अलग-अलग हो सकता है।” ( पूरी खबर : इंटरनेट सेवाओं में अब कोई भेदभाव नहीं होगा : ट्राई )

    ट्राई के इस फैसले पर टेलीकॉम से जुड़े लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। लोगों का कहना है कि ट्राई ने तो अपना फैसला दे दिया है, लेकिन इसे कितने लोग मानते हैं, वह देखना होगा।

    इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के संस्थापक और इंटरनेट बचाओ योजना से जुड़े अपार गुप्ता के अनुसार, “ट्राई की नेट न्यूट्रैलिटी को समझने के लिए दो बिंदुओं पर ध्यान देना होगा। पहला ट्राई द्वारा टेलीकॉम डिपार्टमेंट को इस बारे में प्रस्ताव भेजना जिससे जल्द से जल्द डिपार्टमेंट और इससे सम्बंधित सरकारी मंत्रालय नेट न्यूट्रैलिटी पर ट्राई के फैसले को स्वीकार करे। यदि ट्राई इस मामले में कोई भी फैसला लेती है, तो उसे टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मंजूरी लेनी होगी।”

    उन्होंने आगे कहा, “हालाँकि इस समय सुझाव नियम के अनुसार नहीं हैं। सभी सुझाव और फैसले इस समय नेट न्यूट्रैलिटी पर ट्राई के फैसले का समर्थन करते हैं। इसके बावजूद भी इस विषय में काफी चुनौतियां हैं। उदाहरण के तौर पर ट्रैफिक प्रबंधन पर ट्राई को फैसला लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

    मीडियानामा के संस्थापक और ‘इंटरनेट बचाओ’ के सदस्य निखिल पहवा के अनुसार, “ट्राई ने अपने खुद के फैसले का समर्थन किया है जिसमे इसने कहा था कि इंटरनेट देने वाली सेवाओं को ग्राहकों के साथ किसी भी प्रकार का पक्षपात नहीं करना चाहिए। इस फैसले से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कंटेंट चाहे किसी भी प्रकार का हो, उसको ग्राहकों को दिखाने में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।”

    ट्राई ने अपने फैसले में ‘विशेष सेवाओं’ को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि कुछ कंपनियां ‘विशेष सेवाओं’ के नाम पर इंटरनेट इस्तेमाल में हेरा-फेरी करते हैं। उदाहरण के तौर पर फेसबुक ने कुछ साल पहले ग्राहकों को फ्री में फेसबुक चलाने का प्रस्ताव दिया था। हालाँकि बाद में ट्राई ने इसपर प्रतिबन्ध लगा दिया था।

    दरअसल नेट न्युट्रेलिटी का मुद्दा पुरे विश्व में विवादों में घिरा हुआ है। लोगों का मानना है कि इन्टरनेट सेवाओं को सार्वजनिक बना देना चाहिए जिससे इन्टरनेट फ्री और खुला हो सके।

    भारत में नेट न्यूट्रैलिटी पर नियम अमेरिका और अन्य देशों की तुलना में थोड़े अलग हैं। अमेरिका में लोगों की यह मान्यता है कि निजी कंपनियों को यह हक होना चाहिए कि वे अपना कंटेंट किस प्रकार से इन्टरनेट पर दिखाएं। हालाँकि भारत में इसे हर किसी के लिए खुला और निष्पक्ष बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

    ट्राई द्वारा सुनाये गए फैसले से यह अनुमानित होता है कि भविष्य में भारत में इन्टरनेट के मामले में निष्पक्षता बनी रहेगी और कोई भी बड़ी कंपनी अपना जोर लगाकर इन्टरनेट को एक निजी संपत्ति बना सकेगी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।