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    पीवी सिंधु

    पीवी सिंधु ने एक दम सही मौके पर गोल्ड पर निशाना लगाया नही तो उनके ऊपर महत्वपूर्ण मुकाबलो में चूक जाने वाले(चोकर) का टैग लग सकता था। वही उनके बाद साइना नेहवाल और लक्ष्य सेन को भारतीय बैडमिंटन का स्टार माना जाता है। यह दोनो भी इस साल उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने में कामयाब नही हो पाए लेकिन फिर भी भारत के बड़े बैडमिंटन स्टारो में उनका नाम आता है।

    इस वर्ष में जब बीडब्ल्यूएफ ने एक नई टूर्नामेंट संरचना शुरु की,जिसके तहत पुरस्कार राशि के आधार पर टूर्नामेंट का वर्गीकरण किया। वर्ल्ड टूर फाइनल्स से पहले सिंधु ने सभी मुख्य टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीता था।

    पांच रजत पदक ज्यादातर पुस्तको में सफलता के लिए गिना जाएगा, लेकिन सिंधु के मामले में नही, क्योंकि उन्हे 5 बार फाइनल मुकाबलो में हार का सामना करना पड़ा और इसके लिए उनको दबाव और आलोचनाए सुनने को मिली थी, लेकिन उसके बाद उन्होने साल के अंत में अपने नाम स्वर्ण पदक कर के सबके मुंह बंद कर दिये।

    वही अगर साइना नेहवाल की बात करे तो, जिन्हे पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक से संतुष्ट रहना पड़ा था और उसके बाद घुटने की चोट से जूझना पड़ा था, उन्होने ने भी इस साल कुछ बहतरीन प्रदर्शन किया है।

    वह इस साल राष्ट्रमंडल खेलो में गोल्ड मेडल और एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीती थी। राष्ट्रमंडल खेलो के फाइनल मुकाबले में साइना और पीवी सिंधु का एक शानदार मुकाबला हुआ था जहा साइना ने गोल्ड मेडल जीता था। उसके बाद वह इंडोनेशिया मास्टर्स, डेनमार्क ओपन और सैयद मोदी इंटरनेशनल के फाइनल मुकाबलो तक पहुंची थी, और एशियन चैंपियनशिप और एशियन गेम्स में उन्होने कांस्य पदक जीता था।

    2014 सीडब्ल्यूजी स्वर्ण पदक विजेता साथी शटलर परुपल्ली कश्यप के साथ गाँठ बांधने के बाद ट्रेलब्लैज़र ने भी एक नई निजी यात्रा शुरू की है। पुरुष बैडमिंटन की बात करे तो समीर वर्मा ने इस साल 3 खिताब जीते थे- जिसमें स्विस ओपन सुपर 300, सैयद मोदी इंटरनेशनल और हैदराबाद ओपन सुपर-100 शामिल है। वही वर्ल्ड टूर फाइल्स के लिए उन्होने पहली बार क्वालिफाई किया जिसमें वह सेमीफाइनल तक पहुंचे थे। इस समय वह अपने करियर की बेस्ट रैंकिंग पर 14वें स्थान पर है।

    वही 17 वर्षीय लक्ष्य सेन ने यह विश्वास दिलाया की भारतीय बैडमिंटन सुरक्षित हाथो में है। उन्होने इस साल एशियन जुनियर चैंपियनशिप में सिल्वर, यूथ ओलंपिक और विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होने इस साल का अंत टाटा ओपन इंडिया का खिताब जीतकर किया।

    वही इस साल किदांबी श्रीकांत की बात करे तो वह पिछले साल के मुताबिक इस साल कम खिताब जीत पाए, लेकिन वह बड़े टूर्नामेंटो में क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल तक पहुंचे थे। श्रीकांत ने पिछले साल चार खिताब जीते थे, वह इस साल उनके नाम राष्ट्रमंडल खेलो में जीता एक सिल्वर मेडल है। वह 2017 तक विश्व में नंबर एक स्थान पर थे लेकिन इस साल बहतरीन फार्म में ना होने के कारण, वह 8वें स्थान पर खिसक गए।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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