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    पीपुल्स यूनियन ऑन डेमोक्रेटिक राइट्स की तथ्य खोजने वाली टीम ने जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा की अपने रिपोर्ट में कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर दो बार हमला किया था, जिसमें पहली बार हमला 13 दिसंबर को हुआ था। वहीं, दूसरी बार घटना 15 दिसंबर को घटी थी।

    पीयूडीआर रिपोर्ट के अनुसार, “15 दिसंबर से पहले 13 दिसंबर को जब प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर रुख कर रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए उन पर लाठी चार्ज किया था और आंसूगैस के गोले भी छोड़े थे।”

    इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने परिसर में घुसने के बाद विद्यार्थियों पर बल प्रयोग किया। वहीं 15 दिसंबर को भी पुलिस ने रणनीति के तहत योजनाबद्ध तरीके से इस तरह का बल प्रयोग किया था जो दुश्मनों के खिलाफ किया जाता है, न कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि विद्यार्थी 12 दिसंबर से प्रदर्शन कर रहे थे। तथ्यों की खोज करने वाली टीम ने चश्मदीद विद्यार्थी और अन्य लोगों से मुलाकात की थी।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस बल का प्रयोग अनुचित था, वहीं पुलिस का कहना है कि बल प्रयोग केवल पथराव को रोकने के लिए था। लेकिन पुलिस द्वारा दागे गए आंसूगैस के 400 गोले और लोगों के सिर और पेट पर पिटाई के निशान कुछ और ही बता रहे हैं।

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