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    सिंधु जल संधि

    भारत के सिन्धु नदी के जल को पाकिस्तान के साथ न करने के निर्णय ने इमरान खान को सकते में डाल दिया होगा। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक भारत तीन परियोजनाओं की शुरुआत करेगा जिसमे दो बाँध होंगे। पाकिस्तान के साथ भारत की सिन्धु जल समझौते के तहत इस्लामाबाद के साथ साझा किये जाने वाले अपने भाग के जल पर भारत नकेल कसना चाहता है।

    इन तीन परियोजनाओं में से एक शाहपुर कांदी डाम प्रोजेक्ट, दूसरा पंजाब में सतलुज-बास लिंक और तीसरा जम्मू-कश्मीर में उझ डाम प्रोजेक्ट है। सिन्धु जल संधि के मुताबिक सतलुज, बास और रावी नदी का पानी भारत को मिलता है जबकि चेनाब, झेलम और सिन्धु नदी का जल पाकिस्तान के पास है।

    कुल 168 मिलियन फीट में भारत को तीनो नदियों से 33 मिलियन फीट जल ही प्राप्त होता है जो लगभग समूचे जल का 20 प्रतिशत हैं। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में रावि नदी पर उज बाँध का निर्माण हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी और सिंचाई के लिए किया जा रहा है। इस बाँध की 196 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता होगी।

    इस प्रोजेक्ट के कार्य के लिए 172 मिलियन क्यूसेक मीटर जल की आवश्यकता होगी, जबकि इसके संग्रहण की क्षमता 925 मिलियन क्यूसेक मीटर है।

    सितम्बर 2016 में उरी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर सिन्धु जल संधि को खत्म करने का दबाव बनाया था। सितम्बर में जम्मू-कश्मीर और पंजाब की सरकार ने शाहपुर कांदी 2793 करोड़ के प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करने की रजामंदी दे दी थी। इस प्रोजेक्ट का कार्य साल 2013 में शुरू हो गया था लेकिन जम्मू कश्मीर सरकार के उठाये मुद्दों के कारण इस कार्य को रोकना पड़ा था।

    पंजाब सरकार ने इस प्रोजेक्ट की अनुमानित कीमत के साथ वापस केंद्र के समक्ष भेज दिया है और इसे प्रधानमन्त्री कृषि सिंचाई योजना की प्राथमिक कार्यक्रम की फेरहिस्त में सम्मिलित करने का भी आग्रह किया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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