राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 22 फरवरी को कहा कि हाल ही में अमेरिका के पाकिस्तान के साथ संबंध सुधरे हैं। चीन के साथ व्यापार वार्ता के दौरान व्हाइट हाउस में उन्होंने कहा कि “कुछ वक्त में हमारे रिश्तों में काफी सुधार हुआ है। साथ ही पाकिस्तान के साथ अमेरिका कुछ बैठकों का आयोजन भी करेगा।”
अफगानिस्तान में पाक की भूमिका महत्वपूर्ण
अमेरिकी राजदूत ने बताया कि “पाकिस्तान का अफगान शान्ति वार्ता में काफी महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि उसका नाता तालिबान से हैं। “तालिबान के प्रतिनिधि 25 फरवरी को क़तर में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद से मुलाकात करेंगे।”
तालिबान की सरकार ने अफगानिस्तान की सरकार के साथ के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है क्योंकि वह उन्हें अमेरिका के हाथो की कठपुतली कहते हैं। तालिबान ने शुरुआत में ऐलान किया था कि उनके प्रतिनिधि इस्लामाबाद में इस हफ्ते अमेरिकी अधिकारीयों से मुलाकात करेंगे, लेकिन अस्पष्ट कारणों की वजह से यह वार्ता रद्द हो गयी थी।
तालिबान ने बीते कई मौकों पर अफगान सरकार से बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मास्को में आयोजित शान्ति वार्ता में तालिबान के इंकार के बाद रूस ने अफगान सरकार को शामिल करने के इरादे को टाल दिया था।
अफगान की आपत्ति
हाल ही में अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के समक्ष एक आधिकारिक अर्जी दाखिल की है। जिसमें इस बैठक के खिलाफ आपत्ति जताई गयी है। शिकायत में अफगान सरकार ने लिखा कि पाकिस्तान द्वारा आमंत्रित अधिकतर तालिबान अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबन्ध लगा हुआ है और यह सरासर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
तालिबान का आधिकारिक दफ्तर क़तर में हैं, जहां वार्ता समूह रहता है। इस माह के शुरुआत में यूएन ने ऐसी ही एक शिकायत अर्जी यूएन के समक्ष पेश की थी, जिसमे तालिबान सदस्यों की मास्को यात्रा पर आपत्ति जताई गयी थी। काबुल ने कहा कि रूस ने तालिबान प्रतिनिधियों को यात्रा की आज़ादी दी, जबकि वह अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा प्रतिबंधित थे।इस बैठक का अफगानिस्तान शुरुआत से ही विरोध कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह सरासर अफगानी नेतृत्व और नियंत्रित शान्ति प्रक्रिया के खिलाफ है।