पाकिस्तान को अपनी हिरासत में कैद भारतीय युद्ध बंदियों या रक्षा सैनिको की के बारे में कोई मालूमात नहीं है, जबकि भारत उनके प्रत्यर्पण और रिहाई को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। लोकसभा में लिखित जवाब एक सवाल पर दिया कि 1965 और 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तान में कितने युद्ध बंदी और सैनिक है।
पाकिस्तानी हिरासत में भारतीय कैदी
सरकार ने बताया कि “जानकारी के मुताबिक, करीब 83 लापता भारतीय रक्षा सैनिको के पाकिस्तान की हिरासत में होने की सम्भावना है।” विदेश मामलो के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि “इस सूचना के आलावा 64 भारतीय नागरिक कैदी और 209 मछुवारे पाकिस्तान की हिरासत में हैं। 1 जुलाई 2019 को पाकिस्तान की कैद में 52 नागरिक कैदी और 209 मछुवारे कैद थे।”
उन्होंने कहा कि “2014 से पाकिस्तान की हिरासत में सरकार ने 2110 भारतीय कैदियों व मछुवारो को रिहा या उनका प्रत्यर्पण कर दिया है। इस साल 362 भारतीय कैदियों व मछुवारो को पाकिस्तान ने रिहा किया था।” अक्टूबर 2017 में तत्कालीन विदेश मन्त्री स्वराज ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त को दोनो पक्षों को मानवीय लिहाज से कार्य करने का सुझाव दिया था। जिसमे एक-दूसरे की हिरासत में वृद्ध, महिलाऐं और मानसिक रूप से अस्वस्थ के जल्द प्रत्यर्पण या रिहाई पर विचार करना था।
मुरलीधरन ने कहा कि “इसमें एक जॉइंट जुडिशल कमिटी को बनाने का प्रस्ताव था और एक मेडिकल टीम को मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगो तक पंहुचने के लिए अनुमति दी जाती। पाकिस्तान ने 7 मार्च 2018 को सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी।”
उन्होंने सदन को बताया कि “नई दिल्ली ने पहले ही मीडिया विशेषज्ञों की टीम की सूचना भेज दी है और जॉइंट जुडिशल कमिटी का दोबारा गठन करने के साथ ही यात्रा का आयोजन करने का आग्रह किया है, हालाँकि पाकिस्तान ने लम्बे अरसे इस इस पर जवाब नहीं दिया है।”
विदेश मंत्रालय के अधिकारीयों पर भ्रष्टाचार के आरोपों के सवाल पर उन्होंने कहा कि “विदेशों में नियुक्ति समेत 24 अधिकारीयों पर भ्रष्टाचार का आरोप है और उनके खिलाफ सुनवाई जारी है। मंत्रालय के लिए यह मामला सबसे महत्वपूर्ण है और इन मामले की तरफ हम जीरो टोलेरेंस पालिसी अपनाएंगे।
भ्रष्टाचार और सरकारी नियमों का उल्लंघन के मामले की जांच प्राथमिकता है और आरोप साबित होने पर उचित दंड दिया जायेगा।