अमेरिका के राज्य सव्हीव माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को पाकिस्तान से ईशनिंदा के 40 अल्पसंख्यक आरोपियों को रिहा करने का आग्रह किया है। जो मुल्क में ईशनिंदा के आरोपों में सजा काट रहे हैं या फांसी के लिए इन्तजार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता की 2018 की वार्षिक रिपोर्ट में पोम्पिओ ने जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान को ईशनिंदा के कानून के दुरूपयोग को कम करने के लिए अधिक कार्यवाही करनी चाहिए।”
हाल ही में पाकिस्तान की कैद की सज़ा से बरी हुई आसिया बीबी के मामले ने अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान आकर्षित किया है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में शीर्ष अदालत ने एक ईसाई महिला आसिया बीबी को रिहा कर दिया था। एक दशक तक जेल में रहने के बाद उन्हें मौत की सज़ा से बरी कर दिया गया था। बहरहाल, 40 और लोग अभी भी जेल की सज़ा काट रहे हैं और उन पर भी ईशनिंदा का मामला चल रहा है।
उन्होंने कहा कि “हम उनकी रिहाई की मांग करना जारी रखेंगे और सरकार को एक राजदूत नियुक्त करने के लिए मनाएंगे जो विभिन्न धार्मिक आज़ादी की चिंताओं को बताये।” आसिया बीबी पर साल 2010 में ईशनिंदा का मामला दर्ज किया गया था और उनके मौत की सज़ा सुनाई गयी थी।
आवाम के आक्रोश के बावजूद बीबी के पक्ष में अदालत ने निर्णय सुनाया और वह मई में कनाडा चली गयी है। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में इस्लाम की निंदा ईशनिंदा के लिए सिर्फ मौत की सज़ा मुकम्मल है।
राज्य विभाग ने बताया कि “शिनजियांग में धार्मिक स्वतंत्रता का दायरा सिकुड़ता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि “चीन में सरकार कई आस्थाओं का गंभीर उत्पीड़न कर रही है इसमें फालुन गोंग, ईसाई और तिब्बती बौद्ध सामान्य है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की संस्थापना से ही सभी धार्मिक आस्थाओं गंभीर शत्रुतापूर्ण रवैया अख्तियार किया गया था। पार्टी की मांग थी कि सिर्फ उन्हें ही ईश्वर का दर्जा प्राप्त है।”
बीजिंग द्वारा 10 लाख मुस्लिमों को कैद में रखने की राज्य सचिव ने सख्त आलोचना की थी जिसे चीन प्रशिक्षण शिविर कहता है ताकि चरमपंथ के मार्ग से बाहर निकलने में मदद कर सके और लोगो को नए कौशल को सिखा सके।
रिपोर्ट में कहा कि “मुझे कई उइगर मुस्लिमों से मुलाकात करने का अवसर मिला लेकिन अफ़सोस अधिकतर मुस्लिमों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल सका था। हमने इस साल की चीन की रिपोर्ट में विशेष सेक्शन को शामिल किया है।” कई मानवधिकार समूहों ने उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए चीन की आलोचना की थी।
चीन ने शिनजियांग में मुस्लिमों की धार्मिक गतिविधियों में दखलंदाज़ी की और अल्पसंख्यक समुदाय को जबरन प्रशिक्षण संस्थानों में भेज दिया गया था। साल 2018 यूएन मानव अधिकार समिति ने सार्वजानिक स्तर पर रिपोर्ट साझा की थी कि “20 लाख से अधिक उइगर और अन्य मुस्लिमों को राजनीतिक कैद शिविरों में रखा गया है। चीन ने इन आरोपों से इंकार किया है।